Book Title: Jain Tattvasara
Author(s): Atmanandji Jain Sabha Bhavnagar
Publisher: Atmanand Jain Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ ACKNOW सुज्ञ वाचको ! अमारा जीवनना आधार परमपवित्र परमपूज्य विश्वविख्यात श्रीजैनधर्मप्रभाव स्वर्गस्थ महात्मा श्रीविजयानंद सूरीश्वरजी - श्री आत्मारामजी महाराजजी साहेबना परोपकारपरायण शिष्य प्रवर्तक महामुनि श्री कांतिविजयजी महाराजजीनी आज्ञानुसार आ ग्रंथने संशोधी भाषान्तर साथ तैयार करी आपनार अमारा विद्वान् मित्र वैद्यराज मगनलाल भाइ चुनीलाल वडोदरावाळा छे अने महाराजजीए पोते विद्वत्ता भरेलो उपोद्घात लख्योछे, तेथी आपनी सर्वे प्रकारनी जिज्ञासा पूरी थाय तेम छे. मादे अमो अहीं ते उपकारी मुनिमहाराजनो अने वैद्यराजनो त्रिकरणयोगे उपकार मानवानी फरज ज बजावीए छीए. पण ते सिवाय बीजो एक खुलासों करवानी जरुर जणायछे, आ ग्रंथनुं मूल तथा भाषान्तर छपाववानो तमाम खर्च वीजापुरवासी धर्मात्मा शा. मूलचंद सरूपचंदना मृत्युपत्रना आधारे तेमना ट्रस्टी - ओ शा. सूरचंद सरूपचंद तथा दलीचंद रवचंद एमणे अने एकळा भाषांतरनी वधारे नकलो छपाववानो खर्च वडोदरावासी धर्मबंधुओ झवेरी छोटालालभाई लालचंद परभुदास तथा गोकळभाइ दुल्लभदास एमणे आपने अपने अत्यंत आभारी कर्या छे. तेमनी एवी उदारताथी आ उपयोगी ग्रंथ विना मूल्ये पण आप - वानी अनुकुलता थइछे. तेम छतां अमे तेमनी ज इच्छानुसार जे नामनी वेचाणकिंमत राखी छे तेथी मळतो लाभ आवां उपयोगी पुस्तक छपाववाना काममां ज वपराशे अने तेथी थती पुण्यपरंपराना भागी पण तेओज थशे. अलम्. श्री जैन आत्मानंद सभा. , - प्रस्तावना: भावनगर. पौपदि ५.

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 249