Book Title: Jain Tattva Kalika Vikas Purvarddha
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 297
________________ ( २७३ ) विष प्रथम तो कोई हानि उत्पन्न नहीं करता, किन्तु जब विष परिणत होजाता है तव शरीर की दशा को विगाड़ कर मृत्यु तक पहुंचाता है, उसी प्रकार पापकर्म जव किया जाता है तव तो प्रिय लगता है परन्तु करने के पश्चात् बहुत दुःखोत्पादक होजाता है । अतः जिस प्रकार विष ने काम क्रिया ठीक उसी प्रकार पाप कर्म फल देता है। अव कालोदायी श्री भगवान से शुभ कर्म विषय फिर प्रश्न करते है । जैसेकि "अत्थिणं भंते ! जीवाणं कल्लाणाकम्मा कल्लाणफलविवाग संजुत्ता कजंति ! हंता अत्थि,कहणं भंते ! जीवाणं कल्लाणाकम्मा जाव कजंति ? कालोदाई ! से जहा नामए केइ पुरिसे मणुन्नं थालीपागसुद्धं अटारस वंजणाकुलं अोसहमिस्सं भोयण मुंजेजा! तस्सणं भोयणस्स आवाए नो भदए भवइ,तो पच्छा परिणममाणे २ सुरूंवत्ताए सुवन्नत्ताए जाव सुहत्ताए नो दुक्खंत्ताए भुज्जो २ परिणमति, एवामेव कालोदायी ! जीवाणं पाणाइवाय वेरमणे जाव परिग्गह वेरमणे कोह विवेगे जाव मिच्छादसणसल्ल विवेगे तस्सणं आवाए नो भद्दए भवइ तो पच्छा परिणममाणे २ सुरूवत्ताए जाव नो दुक्खत्ताए भुज्जो २ परिणमइ एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं कल्लाणा कम्माजाव कज्जति ॥ भग०शतक ७ उद्देश १०॥ भावार्थ- कालोदायी श्री श्रमण भगवान् महावीर प्रभु से पूछते हैं किहे भगवन् ! क्या जीवों को कल्याणकारी कर्म कल्याण फल विपाक से युक्त करते हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में श्रीभगवान् ने प्रतिपादन किया कि-हे कालोदायिन् ! हाँ, कल्याणकारी कर्म जीवों को कल्याण फल से युक्त करते हैं। नव फिर उदायिन ने प्रश्न किया कि हे भगवन् ! किस प्रकार उक्त कर्म कल्याण फल से युक्त करते हैं ? उत्तर में श्री भगवान् ने कथन किया कि हे कालोदायिन् ! जैसे किसी पुरुप ने स्थालीपाक शुद्ध अष्टादश व्यंजनों से युक्त शुद्ध और पवित्र भोजन औषध से मिश्रित खा लिया। तय खाते समय वह भोजन उस पुरुप को प्रिय नहीं लगता है क्योंकि-औषध के कारण उस का रस कटुकादि होगया है। किन्तु जब उस भोजन का परिणमन होता है तब उस पुरुष के रोग दूर होजाने से उस की सुरूपता और सुवर्णता तथा सुखरूप भाव में वह भोजन परिणत होजाता है। ठीक उसी प्रकार हे कालोदायिन् ! जव जीव हिंसादि १८पाप कमों को छोड़ता है तब उस समय तो उस जीव को कष्ट साप्रतीत होता है क्योंकि-दुष्ट कर्मों का जव परित्याग करना पड़ता है तव मन'अादि संकल्पों का निरोध करना अति कठिन सा प्रतीत होने लगता है,

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