Book Title: Jain Siddhanta Sangraha
Author(s): Sadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
Publisher: Sadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar

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Page 11
________________ जैनसिद्धांतसंग्रह ! चौवीस तीर्थंकरोंके चिह्न । ६ ammum mimmmmmmmmmmmmmmmm १-ऋषभदेवके बैलका चिह्न । पहला भवं सर्वार्थसिद्धि, जन्मनगरी अयोध्या.पिता नामिराजा, माता मरुदेवी, गर्भतिथि आषाढ़ वदि.२, जन्मतिथि चैन वदि ९, जन्म नक्षत्र उत्तराषाढ, काय ऊंची ५०० धनुष, रंग सुवर्ण समान पीला, आयु ८० लाख पूर्व, दीक्षातिथि चैत्र वदि ९, दीक्षावृक्ष वड़ (वड़के नीचे दीक्षा ली), केवलज्ञान तिथि फाल्गुण वदि .११, गणधर ८९, निर्वाण तिथि माघ वदी ११, निर्वाण आसन पद्मासन (वैठे हुए), निर्वाणस्थान कैलाश । अंतरइनसे १० लाख कोटि सागर गए.पोछे २रे ती अनितनाथ भए। . -अजितनाथके हाथीका चिह ।। पहला भव वैजयन्त, जन्मनगरी अयोध्या, पिताका नाम जित'शत्रु. माताका नाम विजयादेवी, गर्मतिथि ज्येष्ठ वदि अमावस्या, जन्मतिथि माघ शुदी १०, जन्मनक्षत्र रोहिणी, काय ऊंची '४५० धनुष, रंग सुवर्ण समान पीला, आयु ७२ लाख पूर्व, दीक्षा तिथि माघ शुदी १०, दीक्षा वृक्ष सप्तछद (सतौना), केवलज्ञान तिथि पौप शुदी ४, गणधर ९०, निर्वाण तिथि चैत्र शुदी १, निर्वाण आसन खड़गासन (खड़े हुए;, निर्वाण स्थान सम्मेदशिखर । अन्तर-इनसे ६० लाखकोटि सागर गए पीछे रे तीर्थकर संभवनाथ भए। . ३-संभवनाथके घोड़ेका चिह्न । . '. पहला भव प्रैवेयक, जन्मनगरी श्रावस्ती, पिताका नाम

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