Book Title: Jain Siddhanta Sangraha
Author(s): Sadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
Publisher: Sadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar

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Page 13
________________ नासिद्धांतसंग्रह। [७ , वैशाख सुदी.९, दीक्षावृक्ष.- प्रियंगु (कंगुनी), केवलज्ञान तिथि चैत्र सुदी ११, निर्वाण आसन खड्गगासन, निर्वाण स्थान, सम्मेशिखर, अन्तर-इनसे ९० हजार कोटि सागर गए पीछे पद्मप्रभ भए! ६-पद्मप्रभके कंमलका चिह्न। ' पहला भव वैजयंत, जन्मनगरी कौशांबी, पिताका नाम धारण, माताका नाम सुसोमा, गर्भतिथि माघ वदी ६, जन्म. तिथि कार्तिक सुदी १३, जन्मनक्षत्र चित्रा, काय ऊंची २५० धनुष, रंग आरक्त (सुरख) कमलसमान, आयु ३० लाख पूर्व, दीक्षातिथि वृन्दावन और वखतावरकृत पीठोंमें कार्तिक सुदी १५,रामचंद्रकृतमें कार्तिक वदी १३,दीक्षावृक्ष प्रियंगु (कंगुनी), केवलज्ञान तिथि चैत्र शुदि १५, गणधर १११, निर्वाणतिथि . फाल्गुण वदी १, निर्वाण आसन खड्गासन, निर्वाण स्थान सम्मेदशिखर, अंतर इनसे ९ हजार कोटि सागर गए पीछे ७ वे सुपार्श्वनाथ भए । __ ७-सुपार्श्वनाथके माथियेका चिह्न। पहला भव मध्यवेयक, जन्मनगरी काशी, पिताका नाम सुप्रतिष्ठ, माताका नाम पृथिवी, गर्भतिथि वृंद्रावनकत पाठोंमें भादों सुदी २, रामचन्द्र और वखतावरकृत पाठोंमें भादों सुदी ६, जन्मतिथि ज्येष्ठ सुदी १२, जन्मनक्षत्र विशाखा, काय ऊंची २०० धनुष, रंग हरा प्रियंगुमञ्जरी समान, आयु १० लाख पूर्व, दीक्षा तिथि ज्येष्ठ सुदी १२, दीक्षावृक्ष शिरीष (सिरस), केवलज्ञान तिथि फाल्गुण वदी ६, गणधर ९५, निर्वाण तिथि फाल्गुण वदी ७, निर्वाण आसन खगासन, निर्वाण स्थान

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