Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari

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Page 13
________________ कल्याणजीना टूस्टीओने तथा अन्य आगेवानोने बोलावीने. जैनसमुदायनी एक मोटी सभा बोलाववानो निर्णय लेवायो.. ___ संवत ' १९५०ना फागण सुदि १२-१३-१४-१५, सने १८९३ना मार्च महिनानी १८-१९-२०-२१ तारीखोए चार दिवस सुधी अमदावादना नगर शेठने बंगले सभाओ मळी. आ सभा माटे जैन जनतानो उत्साह घणो सारो हतो. बहारथी आवेला उपरांत अमदावादना मळी दररोज बब्बे हजार माणसो सभामां भेगा थता हता. आ प्रसंगे अमदावादना श्रावकोए बहारना महेमानोनी खूब आगतास्वागता करी, एटलं ज नहिं पण महमानोने गांठनो एक पैसो पण खरचवो न पडे तेनी तेमणे काळजीभरी व्यवस्था करी हती. श्री ढढ्ढाजीना. शब्दोमां कहीए तो, लग्न वखते कन्याना बाप वरना पितानी कोथळीनुं म्हों बंध करावी मांडवे एक पैसो पण खरचवा देता नथी तेम अमदावादना शेठियाओए बहारना परोणाओने एक पैसो पण खरच न थाय तेवी सुंदर व्यवस्था करी हती. आ सभामां नीचेना ठरावो पसार करवामां जाव्या हता. (१) छापरीआली पांजरापोळमां एक वेटरनरी सर्जन राखवो (२) रखोपा टीप उत्साहपूर्वक भराववी. (३) पालीताणानी धर्मशालावाळाओए यात्रीओ पासेथी अमुक रकम लईने तेमने ऊतरवा देवानो जे धारो चलाव्यो छे ते बंध कराववो. (४) जर्णि मंदिरोनो उद्धार कराववो. www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only Jain Education International

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