Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari

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Page 10
________________ प्रकरण १लुं पूर्व भूमिका जागृत जो तुज तनुज थयां त्यां आ नवचेतन भरती, प्राची दिशामां विविध रंगभरी उदय उषा झळहळती. - बचुभाई रावत. ओगणीसमी सदीना उत्तरार्धमा साराये भारत वर्षमा प्रजाकीय जागृतिनां पूर उधळी रह्यां तां प्रजानां नवचेतन अने नवी भावनाओनो उदय थई चूक्यो हतो. धर्म सुधारणा, समाज सुधारणा, केळवणीप्रचार, समाजसेवा, स्वदेशीप्रचार वगेरे संबंधी अनेकविध विचारोनां आंदोलनो पूरजोशथी बहेतां थयां हतां. आ माटे उत्साही समाजसेवकोए ब्रह्मोसमाज, प्रार्थनासमाज. अने आर्यसमाज जेवी अनेक संस्थाओ स्थापी हती. देशमां जे विविध आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कारिक अने राजकीय बळो काम करी रह्यां हृतां तेमांथी राष्ट्रिय एकतानी भावना पण जन्म पामी हती; जेना परिणामे सने १८८५मां हिन्दी महासभा ( इन्डीयन नेशनल काँग्रेस )नी स्थापना थई हती. देशभरमा जे नवजागृतिनां पूर वही रह्यां तां तेनाथी जैन समाज पण अलिप्त केम रही शके ? वीरप्रसू राजस्थानना एक शीलवंत सुशिक्षित, सन्निष्ठ, भावनाशाळी अने खमीरवंता नव युवकना दिलना तार पण झणझणी उठ्या. तेना हृदय सागरमा जैन समाजनी उन्नतिना तरंगो उछळवा लाग्या. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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