Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1915 Book 11 Jain Itihas Sahitya Ank
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 354
________________ श्री जैन श्वे. है। डब्ड. माणिक्यनन्दि आदि ग्रन्थोंमें भी इन संघों का नाम मात्र भी उल्लेख नहीं है । यदि उस समय इन संघका अस्तित्व होता तो अवश्य ही किसी न किसी ग्रन्थमे इनका उल्लेख मिलता । उत्तरपुराण सबसे पहला ग्रन्थ है उसमें गुणभद्रस्वामी सेनान्वय या सेन संघका उल्लेख करते हैं और वीरसेन ( जिनसेन के गुरु ) से उसकी परम्परा शुरू करते हैं । इससे भी मालूम होता है कि ये चारों संघ वीरसेन स्वामी के समय में स्थापित हुए होंगे और वीरसेन अकलङ्क देवके समकालीन हैं। द्राविसंघ | 6 ૫૩૪ जैनेन्द्रव्याकरणके कती पूज्यपाद या देवनन्दिके शिष्य वज्रनन्दिने इस संघको स्थापित किया । वज्रनन्दि बडे भारी विद्वान थे । देवसेनसूरिने उन्हें 'पाहुडवेदी महासत्तो' अर्थात् प्राभृतशास्त्रों का ज्ञाता और महापराक्रमी बतलाया है। श्रवणबेलगुलकी मल्लिषेणप्रशस्ति में वज्रनन्दिके ' नवस्तोत्र' नामक ग्रन्थका उल्लेख करके उसकी बड़ी प्रशंसा की गई है और उसे ' सकलाईप्रवचनप्रपञ्चान्तर्भावप्रवणवरसन्दर्भसुभगम् ' विशेषण दिया है । दक्षिण मथुरा में जो कि आजकल ' मदुरा ' नामसे प्रसिद्ध है। इस संघकी स्थापना हुई. मदुरा द्राविड देशके अन्तर्गत है, इसी कारण इसका नाम द्राविडसंघ प्रसिद्ध हुआ जान पड़ता है । ' द्रमिलसंघ ' भी इसीका नाम है और संभवतः पुन्नार्टसंघ' भी जिसमें कि हरिवंशपुराण के कर्त्ता जिनसेन हुए हैं इसीका नामान्तर है । इस संघ में भी कई अर्न्तभेद और अन्वय जान पड़ते हैं । वादिराजसूरिने आपको द्राविसंघके अन्तर्गत नन्दिसंघकी ' अरुडल' शाखाका बतलाया 1 इससे यह भी मालूम होता है कि मूलसंघ के समान इसमें भी एक नवि संघ है । इस संघ में कवि - तार्किक और शाब्दिकों में प्रसिद्ध वादिराजसूरि, त्रैविद्यविद्येश्वर श्रीपालदेव, रूपसिद्धि व्याकरणके कर्त्ता दयापाल मुनि, जिनसेन आदि अनेक विद्वान् हो गये हैं । ऐसा अनुमान होता है कि तमिल और कनडी साहित्य में इस संघ के ग्रन्थ बहुत होंगे । दर्शनसारके कर्त्ता देवसेनसूरिने विक्रमकी मृत्युके ५३६ वर्ष पीछे इस संघकी उत्पत्ति बतलाई है और इसे पाँच जैनाभासों ( निन्हवों) में से एक कहा १ कोशों में ' नाट " का अर्थ कर्नाटकदेश लिखा है, इस लिए संभव है कि 'पुं-नाट ' ' श्रेष्ठ कर्नाटक' द्रविड़ देशको कहते हों ।

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