Book Title: Jain Shiksha Part 03 Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 8
________________ भी राम की पादुका को मुख्य रख गौणरूप से सप्रेम अपने भाई की सेवा समझ कर राज्य किया । प्यारे बालको ! आप भी राम के समान इस संसार में होना चाहते हो तो मनुष्य जाति में उत्पन्न हुए सब भाइयों से प्रेम करना सीखो। पाठ ४-अाज के बन्धु। इस समय भ्रातृ-प्रेम कैसा है ? आज माई २ छोटी २ वस्तुओं और बातों के लिए सिर फोड़ते हैं, कचहरियों में मुकदमावाजी होती है। गालियों में अपने जन्मदाता माता पिता को भी नहीं छोड़ते हैं । बम्बई शहर में दो भाईयों ने अपनी जायदाद के वरावर दो भाग कर लिए । परन्तु बड़े भाई का बोया हुआ एक सुपारी का वृक्ष छोटे भाई ___ की जमीन के हिरले में चला गया । बड़े भाई ने कहा ने इस पेड़ को बोया है इसलिये इस पर मेरा अधिकार । छोटे ने कहा, तुमने बोया तो क्या हुआ ? मेरे भाग में है इसलिये एक वर्ष सुपारिये तुम लो और एक वर्ष हम लें । बड़े भाई ने यह बात नहीं मानी । अन्त मेंPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 388