Book Title: Jain_Satyaprakash 1943 06
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra [ २९९ ] www.kobatirth.org શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ [ वर्षा आर्य है । जर्मन विद्वान क्रेमर और अनुमान है। ग्लाजनपका कि जैनधर्मके प्रभावके बिना इस प्रकारका जीवन संभव नहीं । अबुल अलाने अपनी आयुका अधिक भाग बग़दाद में व्यतीत किया । वहां बहुतसे जैन व्यापारी रहते थे । उनके संसर्गमें आकर अबुल अलाने मांसभक्षण आदिका परित्याग किया होगा और जीवों पर दया करना सीखा होगा | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरबके अतिरिक्त चीनी तुर्किस्तान में भी जैनधर्मके अस्तित्वका अनुमान किया गया है । एन. सी. महेताके आधार पर सी. जे, शाह लिखते हैं- "चीनी तुर्किस्तानके गुफा - मन्दिरोंमें जैन घटनाओंके भी चित्र बनाये जाने लगे थे " । एन सी. महेताके कथन का आधार है ए फान ल. कोकका ग्रन्थ जिसमें मध्य एशियाके बौद्ध अवशेषों का वर्णन है । इसके तीसरे भाग में एक चित्र ( नं. ४) दिया है, और पृ. ३० पर उसके विषयमे' लिखा है कि यह चित्र जैनधर्मकी दिगम्बर संप्रदाय से संबन्ध रखता है, जो इसकी दो मुख्य संप्रदायोंमेंसे एक है । यह चित्र २७ इंच ऊंचा और ८ इंच चौड़ा है । एक हज़ार बरस से अधिक पुराना है, और हरी - लाल भूमि पर नीले रंगसे बना है । इसका सिर खण्डित हो चुका है । चित्रित व्यक्ति अपने पादायों पर खडा है जैसा कि नृत्य करते समय किया जाता है । दाईं टांग आगे लाकर बाईं और कर दी है । इससे पैरोंका व्यत्यय हो गया है अर्थात् दायां पैर बाईं ओर और बायां पैर दाईं ओर आ गया है । इसके कटि प्रदेशमें मेखला के चिह्न भी दिखाई दे रहे हैं । सबसे विचित्र बात यह है कि चित्रित व्यक्ति बिलकुल नग्न है और उसके लिङ्गको वेधन करके उसमें धातुका मोटा छल्ला डाला हुआ है जैसा कि भारतके कई तपस्वी किया करते थे । अब उपर्युक्त वर्णन वाले इस चित्रको किसी प्रकार जैनधर्मसे संबन्धित १. २. H. V. Glasenapp : Der Jainismus, Berlin, 1925. pp. 455-56. Chimanlal J. Shah : Jainism in northern India, Bomby, 1932. p 194. Nanalal Chamanlal Mehta Studies in Indian Painting, Bombay, 1926. p. 2. 3. A. von Le Coq: Die Buddhistische Spaetantike in mittelasien, Band III Die Wandmalereien, Berlin, 1924, For Private And Personal Use Only

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