Book Title: Jain Satyaprakash 1936 01 SrNo 07
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir શ્રી જૈન સંચ પ્રકાર साहित्यको ही सम्मत होना पडे । अत एवं के सामने जिनागम साहिःथ, बौद्ध साहित्य अच्छा हुआ कि उनके गुरुका नाम न एवं वैदिक साहित्य मौजुद था। दिगम्बर आचार्योंने बडी चालीसे उनका लाभ उठाया। स्वामी समन्तभद्रजीके गुरुका नाम भी दिगम्बर आचार्योंन अपने ग्रथनिमाण में दिगम्बर साहित्यमें कहीं नहीं है। यदि नीन लिखित पद्धतिसे काम लिया है। लिखते तो श्रीचंद्रमूरिका ही नाम लिखते । १. श्वेतांबर सम्मत आचार्योंको अपना इसीसे यही बहत्तर माना कि उनका नाम लेना (अपने मान लेना), उनके ग्रंथोंको न लिखा जाय। अविकलरूपसे या विकलरूपसे दिगम्बर अन्ध ऐसी अनेक घटनायें हैं जिनका मनाना, उन आचार्योंकी गुरुपरम्पगके नामभ्रम--स्फोट आगे आगे लिखा जायगा। निशान उखा देना। सारांश यह है कि-दिगम्बर आचार्योंने २. श्वेतांबर सम्मत भिन्न भिन्न ग्रन्थे के आगोंका अस्तित्व अपने लिये नुकसानकारक सारे अध्ययन के अध्ययन, नहीस्तु परिवर्तन माना और इसलिये उनके उच्छेदाला इतिहास करके, उटा लजा और उसकी रनामें अपना बना लिया । नाम जोड देना। कोइ भी समाज जगतमें सात्यिके बिना ३. नथा कल्पित पन्थ बनाकर दिगम्बर जीवन्त नहीं रह सकता । दिगम्बर समाजके सम्मत पूर्वाचार्य के नाम पर बना देना । पास अपना स्वतंत्र साहित्य न रहा इसीसे ४. दूसरेके ग्रन्गों के भिका भिन्न श्रोक अपना विनाश दिखाने लगा। और जिसके उठाकर नया अन्य स्खला कर देगा। पास मौलिक साहित्य नहीं, उसको किसीकी ५. जैनसमाजमें अपर्गिजत जैनतर इंट और किसीका रोडा उठाकर अपने ग्रन्यांक पाउ उठाकर दिगम्बर मन्थके रूपमें साहित्यकी दिवाल खडी करना अनिवार्य जोड देना । ---इत्यादि इत्यादि। होता है। उस समयमें दिगम्बर ग्रंथकारों (क्रमश:) ३८. कुन्दकुन्द आचार्यका सारा परिचय, उनके कतिपय ग्रन्थे की रचनाका इतिहास ओर उसके लिए ऐतिहासिक दिगम्बर ग्रन्थों की शहादतें इत्यादि सब ७वे प्रकरण में बताया जायगा। और स्वामी समन्तभद्रजीका परिचय दशवे प्रकरण में दिना जागा । ३९. गान्धरचनामें ही नहीं वरन् जिनमं दरोंके शिलालवे में भी यही पद्धति काम में ली है। कई स्थानों में प्राचीन संवत्सरबाले नए शिलालेख बनवाकर निपटा दिए हैं। इस ग्रन्यके पहिले भागमें भिन्न भिन्न ग्रन्धकार का परिचय दिया जायगा, दूसर गागमें और के ग्रन्यांसे उठाए पाठेका स-प्रमाण लिस्ट दीया जायगा । For Private And Personal Use Only

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