Book Title: Jain Sahitya ki Pragati
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Z_Darshan_aur_Chintan_Part_1_2_002661.pdf

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Page 14
________________ ४६६ जैन धर्म और दर्शन प्रो० भोगीलाल सांडेसरा का Ph. D. का महानिबन्ध 'कन्ट्रीब्यूशन टु संस्कृत लिटरेचर ऑफ वस्तुपाल एण्ड हिज़ लिटरेरी सर्कल' प्रेस में है और शीत्र ही सिंघी सिरीज़ से प्रकाशित होने वाला है। यह निबन्ध साहिस्थिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से जितना गवेषाणापूर्ण है उतना ही महत्त्व का भी है। प्रो० विलास आदिनाथ संघवे ने Ph. D. के लिए जो महानिबन्ध लिखा है उसका नाम है 'Jina Community- A..Social Survey'--इस महानिबन्ध में प्रो० संघवे ने पिछली जनगणनात्रों के आधार पर जैन संघ की सामाजिक परिस्थिति का विवेचन किया है। साथ ही जैनों के सिद्धान्तों का भी संक्षेप में सुन्दर विवेचन किया है। यह ग्रन्थ 'जैन कल्चरल रिसर्च सोसाइटी की ओर से प्रकाशित होगा । उसी सोसाइटी की ओर से डॉ० बागची की पुस्तक Jain Epistemology छप रही है। डॉ. जगदीशचन्द्र जैन Ph. D. की पुस्तक 'लाईफ इन् इन्श्यन्ट इण्डिया एज़ डिपिक्टेड् इन जैन केनन्स्', बंबई की न्यू बुक कम्पनी ने प्रकाशित की है । न केवल जैन परम्परा के बल्कि भारतीय परम्परा के अभ्यासियों एवं संशोधकों के सम्मुख बहुत उपयोगी सामग्री उक्त पुस्तक में है। उन्हीं की एक हिन्दी पुस्तक 'भारत के प्राचीन जैन-तीर्थ' शीघ्र ही 'जैन कल्चरल रिसर्च सोसायटी से प्रकाशित हो रही है। गुजरात विद्यासभा (भो० जे० विद्याभवन ) अहमदाबाद की ओर से तीन पुस्तके यथासभव शीघ्र प्रकाशित होने वाली हैं जिनमें से पहली है--'गणधरवाद'-गुजराती भाषान्तर । अनुवादक पं० दलसुख मालवणिया ने इसका मूल पाठ जैसलमेर स्थित सबसे अधिक पुरानी प्रति के आधार से तैयार किया है और भाषान्तर के साथ महत्त्वपूर्ण प्रस्तावना भी जोड़ी है। 'जैन आगममा गुजरात' और 'उत्तराध्ययन' का पूर्वार्ध-अनुवाद, ये दो पुस्तके डॉ० भोगीलाल सांडेसरा ने लिखी है। प्रथम में जैन श्रागमिक साहित्यक में पाये जाने वाले गुजरात संबंधी उल्लेखों का संग्रह व निरूपण है और दूसरी में उत्तराध्ययन मूल की शुद्ध वाचना के साथ उसका प्रामाणिक भाषान्तर है । श्री साराभाई नवाब, अहमदाबाद के द्वारा प्रकाशित निम्नलिखित पुस्तके अनेक दृष्टियों से महत्व की हैं--- 'कालकाचार्य कथासंग्रह' संपादक पं० अंबालाल प्रेमचन्द्र शाह । इसमें प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल तक लिखी गई कालकाचार्य की कथाओं का संग्रह है और उनका सार भी दिया हुआ है । ऐतिहासिक गवेषकों के लिए यह पुस्तक महत्त्व की है। डॉ. मोतीचन्द्र की पुस्तक-'जैन मिनियेचर पेइन्टिंग्ज क्रॉम वेस्टर्न इण्डिया' यह जैन हस्तलिखित प्रतों में चित्रित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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