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॥ श्री अर्हद्भ्यो नमः ॥
जैन-रत्नसार
प्रश्वाशप्रप्रश्न प्रयन्त्रण ग्रनमनत्रनयनयनननननननननननननननन्
40000
सूत्र विभाग
ths tabbishnakabharb688baladalodblatasahthkistaslatcalentiatestasiatourismasattakhatisakalakatalatkhabindashtilatolasaladalanathhath talathalalalalahtattathmakal. O
का हमोकार मंत्र
णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्भायाणं
णमो लोए सव्वसाहूणं एसो पंच णमोक्कारो सव्व पावप्पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिं पढ़मं हवइ मंगलं ।
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* प्रा० व्या० अ०८ पा० १ सू० २०६।। असंयुक्तस्यादौ वर्तमानस्य नस्यणोवा भवति ।। जरो नरो णई-नई, परन्तु पाइअ-सह-महण्णवो प्राकृत कोप में पृ० ४७२ भाग दूसरेमें । 5 णमोकार' ण द्वारा ही सिद्ध किया है तथा जैन ग्रंथों में भी ण का प्रयोग ही विशेप मिलता - है। अतः नमोकार न लिखकर सूत्रानुसार णमोकार ऐसा लिखा गया है।
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