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वास्तु-स्मारक एवं मूर्तिकला 1300 से 1800 ई०
[ भाग 6 की विन्यास-रेखा स्वस्तिक के आकार की है, और इसमें चारों ओर एक-एक मुख-मण्डप है। इस मंदिर के मध्यवर्ती गर्भगृह में चारों ओर द्वार हैं और उसमें एक चौमुख या चतुर्मुख स्थापित है। इसमें शिखर की संयोजना या तो थी ही नहीं या अब वह नष्ट हो चुका है। मंदिर के चारों ओर बरामदा था जिसके अब केवल स्तंभ ही बच रहे हैं और छत के शिला-फलक निकाल लिये गये हैं। यह मंदिर लगभग सोलहवीं शती का हो सकता है और कार्कल की उपरि-वर्णित चतुर्मुख-बस्ती से इसकी तुलना की जा सकती है जो सर्वतोभद्र-वर्ग का मण्ड-प्रासाद माना जा सकता है।
महाराष्ट्र के स्मारक
महाराष्ट्र में भी जैन धर्म के अनुयायियों ने कला और स्थापत्य के महत्त्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किये । यहाँ के जैन मंदिर स्वभावत: स्थानीय शैली में निर्मित हैं जो एक प्रकार की उत्तर भारतीय शिखर-शैली ही है जो बाद में हेमाडपंथी-शैली के नाम से लोकप्रिय हुई, और इसकी शैलीगत विशेषताओं को जैन मंदिरों की स्थापत्य संबंधी विशेषताओं में स्थान दिया गया। बारहवीं शती के भी इस शैली के कुछ मंदिर नासिक जिले के अंजनेरी में विद्यमान हैं। इस क्षेत्र में इस काल के निर्मित दो गुफा-मंदिर महत्त्वपूर्ण हैं। ये दोनों नासिक जिले के त्रिंगलवाडी और चंदोर नामक स्थानों पर हैं। पहले में १३४४ ई० का एक अभिलेख है और यह एक अत्यंत सुंदर गुफा-मंदिर है। इसमें गर्भगृह, अंतराल और मण्डप हैं। 'मण्डप के सामने एक नीची परिधिका है जिसके दोनों छोरों पर एक-एक स्तंभ है, जिनसे लगा हुआ एक-एक द्वार है जिनपर बरामदे का बाहरी छदितट आधारित है। इसमें संकीर्ण गवाक्ष, छत के अलंकरण, सुंदर शिल्पाकंनों से युक्त स्तंभ, शिल्पांकित सम्मुख-द्वार और घटकों की पट्टियाँ उल्लेखनीय हैं। गर्भगृह में एक खण्डित तीर्थंकर-मूर्ति है। चंदोर की गुफा उसके बाद की प्रतीत होती है। इसमें एक लघु कक्ष है जो साधारण चतुष्कोणीय स्तंभों पर आधारित है। इसमें चंद्रप्रभ की एक मूर्ति है ।
बरार में बासिम से उत्तर-पश्चिम में १६ किलोमीटर दूर, सिरपुर में स्थित अंतरिक्ष-पार्श्वनाथ नामक मंदिर उल्लेखनीय है । इसमें संवत् १३३४ (यदि यह विक्रम संवत् है तो १२७८ ई.) का एक घिसा हा अभिलेख है जिसमें तीर्थंकर का उपर्युक्त नाम उल्लिखित है। इसकी विन्यास-रेखा तारकाकार है और इसकी भित्तियों पर पत्रावली-युक्त पट्टियों का अलंकरण है। ईंट और चूने से बना इस मंदिर का शिखर बाद में निर्मित प्रतीत होता है । मण्डप के प्रवेश-द्वारों पर आकर्षक शिल्पांकन हैं और
1 वही, पृ 126. 2 कजिन्स, मेडीएब्ल टेम्पल्स प्रॉफ द डेकन, आयॉलाजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया, न्यू इंपीरियल सीरिज, 47,
1931. कलकत्ता. Y 43 और परवर्ती. 3 वही, पृ48. 4 वही, पृ 49.
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