Book Title: Jain Hiteshi 1921 Ank 03
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 2
________________ नियमावली। - सुखदास। १ जनहितैषीका वार्षिक मूल्य ३) जार्ज-ईलियटके सुप्रसिद्ध उपन्यास तीन रुपया पेशगी है। _ 'साइलस मारनर' का हिन्दी रूपान्तर । २ ग्राहक वर्षके प्रारम्भसे किये जाते इस पुस्तकको हिन्दीके लब्धप्रतिष्ठ उपहैं और बीचमें ७वें अंकसे । आधे वर्षका न्यास-लेखक श्रीयुत् प्रेमचन्दजीने लिखा मल्य १॥) है। बढ़िया एण्टिक पेपर पर बड़ो ही ३ प्रत्येक अंकका मूल्य ।) चार पाने। सुन्दरतासे छपाया गया है। उपन्यास ४ लेख, बदलेके पत्र, समालोचनार्थ बहुत ही अच्छा और भावपूर्ण है । मूल्य ॥ पुस्तक आदि नये ग्रंथ। __ 'बाबू जुगुलकिशोरजी मुख्तार, १ स्वाधीनता-जान स्टुअर्ट मिलसरसावा (सहारनपुर )" के पास की 'लिबर्टी'का अनुवाद । यह ग्रन्थ बहुत भेजना चाहिए । सिर्फ प्रबन्ध और मल्य दिनोंसे मिलता नहीं था, इसलिये फिरसे आदि सम्बन्धी पत्रव्यवहार इस पतेसे छपाया गया है। 'स्वाधीनता'की इतनी किया जायः अच्छी तात्विक पालोचना श्रापको कहीं न मैनेजर मिलेगी। प्रत्येक विचारशीलको यह ग्रन्थ जैन ग्रंथ-रत्नाकर कार्यालय, पढ़ना चाहिए । मूल्य २) सजिल्दका २॥) २ ज्ञान और कर्म-हिन्दीमें अपूर्व हीराबाग, पो० गिरगाँव, बम्बई। तात्विक ग्रन्थ । कलकत्ता हाईकोर्ट के जज स्वर्गीय सर गुरुदास बन्धोपाध्यायके पुष्पलता। लिखे हुए सुप्रसिद्ध ग्रन्थका अनुवाद । इसमें मनुष्यके इहलोक और परलोकहिन्दीमें एक नये लेखककी लिखी हुई सम्बन्धी सभी विषयोंकी बड़ी विद्वत्ताअपूर्व गल्पे। प्रत्येक गल्प मनोरंजक,शिक्षाप्रद और भावपूर्ण है । सभी गल्पं स्वतन्त्र पूर्ण श्रालोचना की गई है। बहुत बड़ा हैं और हिन्दीसाहित्यके लिये गौरवकी प्रन्थ है । मूल्य ३) सजिल्दका ॥) चीज है। जो लोग अनुवाद ग्रन्थोंसे अरुचि : ३ जान स्टुअर्ट मिल-स्वाधीनतारखते हैं उन्हें यह मौलिक गल्पग्रन्थ के मूल लेखकका अतिशय शिक्षाप्रद और अवश्य पढ़ना चाहिए। -- चित्रोंसे पढ़ने योग्य जीवनचरित । अबकी बार पुस्तक और भी सुन्दर हो गई है। हिन्दी यह जुदा छपाया गया है । मूल्य ॥ प्रन्ध-रत्नाकर-सीरीजका यह ४१वाँ प्रन्थ दक्षिण अफ्रिकाके सत्याग्रहका है । मूल्य १) सजिल्दका १॥) इतिहास-लेखक, पं० भवानीदयालजी, ३५ चित्रोंसे युक्त । मूल्य ३॥) आनंदकी पगडंडियाँ। खसकी राज्यक्रान्ति-लेखक, पं. जेम्स एलेन अँगरेजीके बड़े ही प्रसिद्ध रमाशंकर अवस्थी । २३ चित्रोंसे सुशीमाध्यात्मिक लेखक हैं। उनके ग्रन्थ बड़े भित । मू०२॥) ही मार्मिक और शान्तिप्रद गिने जाते हैं। तमाखसे हानि-पं० हनुमत्प्रसा. अँगरेजीमें उनका बड़ा मान है । यह ग्रन्थ दजी वेधकृत । मू० उन्हींके 'Byways of Blessedness' मलावरोध-चिकित्सा -,,, मू० ) नामक ग्रन्थका अनुवाद है । प्रत्येक विवे- फिजीमें भारतीय प्रतिज्ञाबद्धकी और विचारशील पुरुषको यह ग्रन्थ कलीप्रथा-लेखक, एक भारतीय हृदय । पढ़ना चाहिए । मूल्य १) सजिल्दका ॥) मूल्य १) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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