Book Title: Jain Hit Shiksha Part 01
Author(s): Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publisher: Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner

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Page 8
________________ .ALI * निवेदन TS VSHV mins य पाठकों ! यह पुस्तक 'जैन-हित-शिक्षा' प्रथम भाग श्रावक कुम्भकरणजी टीकमचन्दजी चोपड़ा के कहने से मैने तैयार की है। इस में पच्चीस बोल, चर्चा प्रादि थोकड़ों के सिवाय बहुत सी उपदेशिक ढालें तथा श्रीपुज्यजी महाराज के गुणों की ढालें तथा च्यार निक्षेपां की चौपाई की ढालें भी उपयोगी समझ कर संग्रह कर दी हैं---जिस से अन्य पुस्तकों की अपेक्षा इस में कुछ विशेपता था गई है। परन्तु मेरा परिश्रम तभी सफल है जब कि आप लोग इन्हें जयग्णायुत पढ़ें व दूसरों को पढ़ कर सुनावें तथा शुब्द समकित दृढ़ कर अपना व दूसरों का आत्मिक हित करें। श्री वीतराग देव के वचनों की यथार्थ घोलखना पर उम पर दृढ धान्या-प्रतीत रखना ही भव सागर में पार होने का एक मात्र उपाय है। पुस्तक के निमने व छपाने में भग्मक सावधानी से काम दिया गया है. नथापि मेग अल्पनता के कारगण व प्रमाद यश कुछ भूल नक व घटियां रह गई हो तो विन जन उन्हें स्वयं शुद्ध कर ।

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