Book Title: Jain Hit Shiksha Part 01
Author(s): Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publisher: Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner

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Page 9
________________ लें तथा मुझे उस से अवश्य सूचित करें ताकि दूसरी श्रावृत्ति में शुद्ध कर दी जायें। निक्षेपों की ढालें जिस हस्तलिखित प्रति से उतार कर छापी गई है उस प्रति के कई स्थल ठीक ठीक पढने व समझने में नहीं श्राये इस से ज्यों के त्यों उसी के अनुसार छाप दिये गये हैं । अतएव जिन महाशयों के पास च्यार निक्षेपों की चौपाई की ढालों की हस्त-लिखित प्रतियें हों वे उसे इस पुस्तक की छपी हुई ढालों से मिलान करें और जहां २ अन्तर दिखाई दे उस से मुझे सूचित करें, तो मैं उन महाशयों का चिर कृतज्ञ रहूंगा और दूसरी श्रावृत्ति में उन लोगों के नाम धन्यवाद सहित प्रकाशित करूंगा। अन्त में श्रोसवाल प्रेस के मालिक बा० महालचन्दजी वयेद को धन्यवाद देकर निवेदन समाप्त करता हूं-जिनकी सहायता से इस पुस्तक के संग्रह करने व छपाने में मुझे पूरी सरलता हुई। ___ यदि जिनेश्वर देव के बचनों के विरुद्ध कुछ छप गया हो सो मुझे मिच्छामि दुक्कड । निवेदकः-- दुर्जनदारक सेठिया । ( भीनासर निवासी)

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