Book Title: Jain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Author(s): Ratanchand Mehta
Publisher: Kamal Pocket Books Delhi

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Page 3
________________ जैन-हिन्दू एक सामाजिक दृष्टिकोण MANGO ज सैद्धान्तिक पक्ष हम लें तो हमें हिन्दू ग्रन्यों में वे सबै बातें मिलती हैं, जो जैनत्व के मूल तत्व में हैं, लेकिन उनका विकास जो जैन-दर्शन में है, वह अन्यत्र नहीं है। अहिंसा का सूक्ष्म विवेचन जैन-दर्शन में पराकाष्ठा पर पहुंच गया । कर्मवाद जैनत्व का मूल आधार है। ईश्वरवाद को वहां स्थान नहीं, यह नई विचारधारा नहीं, लेकिन हिन्दुत्व विचारधारा का विकास ही है। इसलिए जैन-दर्शन व हिन्दू-दर्शन एक गुलदस्ता है, विविधता में भी "सत्यं शिवं सुन्दरम्" के दर्शन हैं।.. -मुनि श्री सुशील कुमार जी

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