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Jain Digest
प्राणि रक्षा और शाकाहार सम्मेलन
- आचार्य जी के सदुपदेशों से प्रभावित होकर गुडगांवा में चौगान माता के मन्दिर में बाल्मीकि हरिजनों द्वारा हजारों निरीह पशुओं के वध को सदा के लिए बंद करने का संकल्प |
कार्ला केव पर चल रही पशु बलि प्रथा का उन्मूलन ।
- मध्य-भारत, मध्य-प्रदेश, बम्बई, कच्छ, सौराष्ट्र सरकारों द्वारा गांधी निर्वाण तिथि ३० जनवरी को बुचडखाने बन्द करवाने में सफलता ।
- महावीर जयन्ती के पावन अवसर पर दिल्ली के बुचडखानो को बन्द करवाने मे
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अभूतपूर्व योगदान |
सन् १९६६ में गौरक्षण तथा गौ संवर्धन के लिए गौरक्षा आन्दोलन का नेतृत्व रैली में १० लाख लोग सम्मिलित |
- शाकाहार पर अनेक गोष्ठियों का आयोजन और सन् १९६० में अन्तर्राष्ट्रीय शाकाहार सम्मेलन का नेतृत्व ।
- सन् १९७५ में अमेरीका मेन स्टेट में भारत की ओर से विश्व शाकाहार सम्मेलन का प्रतिनिधित्व | पांच अहिंसा सम्मेलनों के आयोजन द्वारा विश्व के विभिन्न देशों में अहिंसा की चेतना का प्रसार। इस प्रकार और भी अनेक सम्मेलनों तथा आयोजनों में महत्वपूर्ण योगदान ।
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कतिपय प्रमुख कार्य
आचार्य श्री द्वारा सन् १९५२ में, सादडी जैन सम्मेलन में प्रमुख भूमिका - श्रमण संघ के उपप्रवर्तक पद का पर्याप्त समय तक वहन ।
स्थानक वासी जैन संघ के साहित्य विभाग का संचालन ।
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भगवान महावीर की २५०० वी परिनिर्वाण शताब्दी समिति का नेतृत्व धर्म और संस्कृति के संबंध में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रतिनिधित्व
अमरीका के विश्वविद्यालया ( न्यूजर्सी, कनैक्टीकट हयूस्टन, कैलिफोर्निया, मैसाच्यूसस, पैनसिलवेनिया, आदि) में अध्ययनरत छान्न तथा प्रोफेसरों को जैन धर्म के सिद्धान्त अर्हत् योग, ध्यान, आभा-विज्ञान, आरोग्य विज्ञान, रंग-विज्ञान और अध्यात्म आदि का समुचित प्रशिक्षण ।
सन् १९७७ में पोप पाल से वैटिकन सिटी (रोम) में भेट और विश्व शान्ति के उपायों पर विचार विमर्श ।
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June 1994
Jain Education International 2010 02
गौ-रक्षा
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