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पूज्य गुरुजी
सिद्धिदात्री गुरुवर एवं विश्व शांती प्रेरक आचार्य सुशील कुमारजी को
श्रद्धाजलि
गुरूजी के बिना नहीं लगता दिल मेरा उनकी छवि देख कर रोता है दिल मेरा
महिमा गुरू की गावो गावो, गुरु पूर्णिमा है आई आई अनन्त आशीष पावो पावो, महिमा गुरु की गावो गावो
काश सिद्धाचलम में आखिरी बार मिल जाते बावा, पियांका, हिमांशु और मुझसे मिल जाते बार बार उनके दर्शन को जी करता है उनके बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है
गीता, वेद, पुराण सभी ने, गुरु की महिमा गाई भाग्य हमारे आज जगे हैं, शुभ बेला है आई
उनकी सुगन्ध अपने आस-पास पाती हूँ मैं दिल से निकले आV फिर पी जाती हैं मैं यहाँ के हिरण, पक्षी, खरगोश भी हैरान हो देखते कहाँ गए वह सफेद वस्त्र पहने जो खाना दिलवाते
आओ कर लो दर्शन गुरू का, कोटि कोटि फल पावो पावो महिमा गुरु की गावो गावो, गुरू पूर्णिमा है आई आई
ज्ञान के दीप जलाते गुरुवर, सच्ची राह बताते हैं
मन्दिर में भी अब ध्यान नहीं लग पाता है मन मन्दिर में ब्रह्म ज्ञान की, अनुपम ज्योति जलाते हैं णमोकार मंत्र जपने पर ही जी भर आता है
इतनी जलदी जाना था, तो कुछ तो बतला जाते भवसागर यदि पार है करना, गुरू की शरण में आओ आओ अपने बिना रहने का तो रहसय समझा जाते महिमा गुरू की गावो गावो, गुरू पूर्णिमा है आई आई
अभी तो इस दुनिया ने कुछ देखा ही नहीं था सच्ची ज्योति हृदय के भीतर, गुरू कृपा से आती
अपने महावीर का तप तो अब सभी ने समझना था अन्तर तिमिर मिटा देते गुरू, ज्योति से ज्योति से जगती अपने संस्कार बच्चों के रोम रोम में बसा गए गुरूजी
सिद्धाचलम जैसे तीर्थ पीढी पर पीढी से जोड गए गुरुजी युग युग से सोये अन्तर को, फिर से आज जगाओ जगाओ महिमा गुरू की गावो गावो, गुरू पूर्णिमा है आई आई रूप चन्द महाराज का विशाल समाधि मंन्दिर बनवाया
अपनी श्रद्धा से आगे हमको अपना भविष्य दिखलाया
पूज्य गुरूजी का आर्शीवाद सदा सर पर रहे मेरे श्रीमती पूर्णिमा देसाई
उनके कार्यो को पूरा करने पर निकले पाण मेरे संस्थापिका शिक्षायतन
रशीमा जैन सिद्धाचलम
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June 1994 Jain Digest
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