Book Title: Jain Dharma me Atmavichar
Author(s): Lalchand Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 327
________________ ( ३१२ ) प्रभाकर मिश्र; प्रकाशक १३६. बृहती - भाग १, २ विद्यालय; सन् १९३४। -मद्रास विश्व - १३७. बृहदारण्यकोपनिषद्, गीताप्रेस गोरखपुर । १३८. भगवती आराधना : आचार्य शिवकोटि सम्पादक - सखाराम दोशी, प्रकाशक - जीवराज जैन ग्रंथमाला, शोलापुर; प्रथम संस्करण; सन् १९३५ । १३९. भारतीय तत्त्व विद्या : पं० सुखलाल जी संघवी, प्रकाशकरतिलाल दीपचन्द देसाई, मन्त्री ज्ञानोदय ट्रस्ट, अनेकान्त विहार, अहमदाबाद ; सन् १९६० । १४०. भारतीय दर्शन : उमेश मिश्र; प्रकाशक - हिन्दी समिति, सूचना विभाग, उत्तरप्रदेश, लखनऊ; द्वितीय संस्करण; सन् १९६४ । Jain Education International ------- १४१. भारतीय दर्शन : वाचस्पति गैरोला ; प्रकाशक - लोकभारती प्रकाशन; द्वितीय संस्करण; सन् १९६६ । १४२. भारतीय दर्शन : डा० नन्दकिशोर देवराज; प्रकाशक- हिन्दुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद; सन् १९४१ १४३. भारतीय दर्शन - भाग १-२ : डा० राधाकृष्णन्; अनुवादकस्व० नन्दकिशोर गोभिल विद्यालंकार; प्रकाशक - राजपाल एण्ड सन्स, दिल्ली; तृतीय संस्करण; सन् १९७३ । १४४. भारतीय दर्शन (ऐतिहासिक और समीक्षात्मक विवेचन ) : सम्पादक - डा० नन्दकिशोर देवराज; प्रकाशक - निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी ग्रन्थ एकेडमी, लखनऊ; प्रथम संस्करण; सन् १९७५ । १४५. भारतीय दर्शन की रूपरेखा : प्रो० हरेन्द्रप्रसाद सिन्हा; प्रकाशक - श्री सुन्दरलाल मोतीलाल बनारसीदास, अशोक राजपथ, पटना-४; तृतीय संशोधित एवं परिवद्धित संस्करण; सन् १९७४ । १४६. भारतीय दर्शन की रूपरेखा : एम० हिरियन्ना; अनुवादक - डा० गोवर्धन भट्ट, श्रीमती मंजु गुप्त, श्री सुखवीर चौधरी; प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन प्रा० लि०, ८ नेताजी सुभाष मार्ग, दिल्ली; द्वितीयावृत्ति; सन् १९७३ | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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