Book Title: Jain Dharma me Atmavichar
Author(s): Lalchand Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 330
________________ ( ३१५ ) वादक-डा० महेश तिवारी, चौखम्भा विद्या भवन, वाराणसी प्रथम संस्करण; सन १९६७ । १७५. विशुद्धि मार्ग : धर्मरक्षित; प्रकाशक-महाबोधि सभा, सार नाथ, वाराणसी। १७६. विशेषावश्यक भाष्य : जिनभद्रगणि श्रमण; सम्पादक-राजेन्द्र विजय जी महाराज, प्रकाशक-दिव्यदर्शन कार्यालय, अहमदाबाद; सन १९६२ । १७७. विश्वतत्त्वप्रकाश : सम्पादक-विद्याधर जोहरापुरकर; प्रका शक-जैन संस्कृत संरक्षक संघ, शोलापुर; प्रथम संस्करण; सन् १९६४ । १७८. विशुद्ध मग्ग : बुद्धघोष; सम्पादक-भदन्त रेवतधर्म; प्रकाशक भारतीय विद्या प्रकाशन, काशी। १७६. वेदान्तसार : खिलाडी लाल, चतुर्थ संस्करण । १८०. वैशेषिक दर्शन (प्रशस्तपादभाष्य ): महर्षि प्रशस्तपाद देव; चौखम्भा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी; प्रथम संस्करण; सन् १९६६ । १८१. शास्त्रदीपिका : पार्थसारथि मिश्र प्रकाशक-निर्णय सागर, बम्बई; प्रथम संस्करण सन् १९१५ । १८२. शास्त्रवार्ता समुच्चय : हरिभद्र सूरि; प्रकाशक-लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, अहमदाबाद; __ प्रथमावृत्ति, सन् १९६९ । १८३. षट्खण्डागम (धवला टीका एवं हिन्दी अनुवाद सहित) : भूतबलि पुष्पदन्त; प्रकाशक-जैन साहित्योद्धारक फंड कार्यालय अमरावती; प्रथम आवृत्ति; सन् १९३९-१९५६ । १८४. षड्दर्शन रहस्य : पंडित रंगनाथ पाठक; प्रकाशक-बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना-३; प्रथम आवृत्ति; सन् २०१५। १८५. षड्दर्शन समुच्चय ( गुणरत्नसूरिकृत तर्क रहस्य दीपिका, सोमदेवसूरिकृत लघुवृत्ति तथा अवचूर्णि सहित): आचार्य हरिभद्र सूरि; सम्पादक और अनुवादक-डा० महेन्द्रकुमार जैन न्यायाचार्य; प्रकाशक-भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी; प्रथम आवृत्ति, सन् १९७०। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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