Book Title: Jain Dharma me Atmavichar
Author(s): Lalchand Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 331
________________ ( ३१६ ) १८६. संयुक्त निकाय : प्रकाशक-महाबोधि सभा, सारनाथ; प्रथम आवृत्ति, सन् १६५४ । १८७. सत्यशासन परीक्षा : आचार्य विद्यानन्द; सम्पादक-गोकुल चन्द्र जैन; प्रकाशक-भारतीय ज्ञानपीठ; प्रथम आवृत्ति; सन् १९६४ । १८८. सन्मति तर्क प्रकरणम् टीका : अभयदेव सूरि; सम्पादक पं० सुखलाल संघवी एवं पं० बेचरदास दोशी, प्रकाशकविट्ठलदास मगनलाल कोठारी गुजरात विद्यापीठ कार्यालय, अहमदाबाद; प्रथमावृत्ति; वि० सं० १६८० ।। १८९. समयसार ( आत्मख्याति-तात्पर्यवृत्ति-आत्मख्यातिभाषावच निका टीका सहित) : कुन्दकुन्दाचार्य सम्पादक-पं० पन्नालाल जैन; प्रकाशक-रावजी भाई छगनभाई देसाई, परमश्रु त प्रभावक मंडल (श्रीमद्राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला), बोरिया (गुजरात); द्वितीयावृत्ति; सन् १९७४ । १६०. समयसार (अंग्रेजी अनुवाद और प्रस्तावना सहित):प्रो० ए० चक्रवर्ती; प्रकाशक-भारतीय ज्ञानपीठ, काशी; प्रथम आवृत्ति; सन् १६५० । १६१. समाधिशतक : पूज्यपादाचार्य; प्रकाशक-वीर सेवा मन्दिर, दिल्ली; प्रथम संस्करण; वि० २०२१।। १६२. सर्वदर्शनसंग्रह (हिन्दी टीका सहित): माधवाचार्य प्रकाशक .. चौखम्भा संस्कृत सीरीज, वाराणसी। १६३. सर्वार्थसिद्धि : पूज्य पादाचार्य; संपादक एवं अनुवादक-पं० फूलचन्द्र सिद्धान्त शास्त्री; भारतीय ज्ञानपीठ, काशी; प्रथमा वृत्ति; सन् १९५५ । १६४. सांख्यकारिका (गौडपाद भाष्य) : ईश्वर कृष्ण; ह० कृ० चौ० काशी; वि० संवत् १६७९ । १५. सांख्यतत्त्वकौमुदी : वाचस्पति मिश्र, प्रकाशक-प्रेम प्रका शन, अहमदाबाद; चतुर्थ संस्करण; सन् १६६६ । १६६. सांख्यसूत्रम् : कपिल मुनि; संपादक-श्रीरामशंकर भट्टाचार्य; प्रकाशक-भारतीय विद्या प्रकाशन, वाराणसी; वि० सं० २०२२। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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