Book Title: Jain Dharma me Atmavichar
Author(s): Lalchand Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 329
________________ ( ३१४ ) १६२. याज्ञवल्क्य स्मृति : प्रकाशक-निर्णय सागर प्रेस, बम्बई; सन् १९३६ । १६३. युक्त्यनुशासन : स्वामी समन्तभद्र, प्रकाशक-सेवा मन्दिर, सरसावा, प्रथम संस्करण; सन् १९५१ ।। १६४. योग दर्शन : महर्षि पतंजलि; संपादक-श्रीराम शर्मा आचार्य: प्रकाशक-संस्कृत संस्थान, बरेली; तीसरा संस्करण; सन् १६६६। १६५. योगसार ( हिन्दी अनुवाद सहित ) : अमितगति; प्रकाशक भारतीय जैन सिद्धान्त प्रकाशिनी संस्था, कलकत्ता; प्रथम संस्करण; वी० नि० सं० २४४४ । १६६. योगसार (परमात्मप्रकाश के अन्तर्गत संस्कृत छाया और हिन्दी सार) : योगीन्दु देव; प्रकाशक-परमश्रुत प्रभावक मंडल, श्री राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला; द्वितीय संस्करण; वि० सं० २०१७। १६७. रत्नकरण्ड श्रावकाचार (प्रभाचन्द्राचार्यरचित संस्कृत टीका तथा हिन्दी रूपान्तर सहित) : आचार्य समन्तभद्र प्रकाशक-वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट; प्रथम संस्करण; सन् १९७२ । १६८. रत्नाकरावतारिका : वादिदेव सूरि; प्रकाशक-यशोविजय जैन ग्रंथमाला, वाराणसी; वीर सं० २४३७ । १६६. रायपसेणइयं : सम्पादक-६० बेचरदास जी दोशी, प्रकाशक गुर्जर ग्रन्थ रत्न कार्यालय, अहमदाबाद; सन् १९३६ । १७०. रियलिटी : एस० ए० जैन; प्रकाशक-वीर शासन संघ, कलकत्ता; सन १९६० । १७१. लब्धिसार : कुन्दकुन्दाचार्य प्रकाशक-जैन सिद्धान्त प्र० सं०, कलकत्ता; प्रथम संस्करण । १७२. वर्णी अभिनन्दन ग्रंथ : प्रकाशक-संयुक्त मन्त्री, श्री वर्णी हीरक जयन्ती म० स०, सागर; वी०नि० २४७६ । १७३. वसुनन्दिश्रावकाचार : आचार्य वसुनन्दि; सम्पादक-हीरालाल सिद्धान्तशास्त्री, प्रकाशक-भारतीय ज्ञानपीठ, काशी प्रथम संस्करण । १७४. विज्ञप्तिमात्रतासिद्धि : आचार्य वसुबन्धु; सम्पादक एवं अनु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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