Book Title: Jain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Author(s): Vijay Sadhvi Arya
Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan

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Page 5
________________ समर्पण जिन्होंने स्वयं के पुण्य चस्ति से इतिहास का निर्माण किया है जिनके पवित्र नामांकन से । इतिहास के पृष्ठ गौरवान्वित हुए हैं अक्षुण्ण श्रद्धा की कीर्ति स्तम्म समी पुण्यसनिला तपोमूर्ति श्रमणियों को विनम्र प्रणमाञ्जलि सह - श्रमणी विजयश्री "आधी' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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