Book Title: Jain Dharm par Lokmat Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 2
________________ । क्रम संख्या काल नं. वीर सेवा मन्दिर दिल्ली । ओरसे इसमें लिखा है वह माचार पत्रोंके तथा देशनेता प्रगट की हैं 22,५१ . जैन सरावगी से ओतप्रेत ऐसी संभ्रान्त अथवा हिन्द....... ... ... ... ... ... ., re .सर्फ २५०० वर्ष पराना है, जैनधर्मकी प्राचीनता बावत जनताको सच्ची जानकारी हो, ५०० प्रतियां अपनी ओरसे छपवाकर अमूल्य वितरणकी हैं। आपको इस प्रशस्त भावनाके लिये खण्ड धन्यवाद इसके अलावा जिन बन्धुओंको जैनधर्मके प्रति * अन्यान्य और विद्वानोंकी शुभ संमतियां मिलें, या उनके कास हो व मुझको भेजनेकी कृपा करें ताकि अग्रिम संस्करण इससे भी अधिक सुन्दर बन सके । बस ! ता. १-३-४८ १ भाप सबका--" स्वतंत्र " परत ।Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17