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भगवान वीर और उनका सन्देश ।
पं० "स्वतंत्र" जीने नवीन ही पद्धतिसे लिखा है, इसमें भ० महावीरका संक्षिप्त जीवन चरित्र देते हुवे उनके पवित्र उपदेश जैसे अहिंसा, सत्य, अपरिग्रहबाद, | कर्मवाद, स्याद्वाद, साम्यवाद, आदि विषयों पर बहुत ही | सुन्दर ढंगसे सरल भाषामें प्रतिपादन किया गया है।
महावीर : यन्ति, पयर्पण, रक्षाबन्धन, द पावलि आदि शुभ पत्रों में, एवं विवाह शादी, अथवा अन्य समारोहकः । समय इस ट्रस्टको चोकबंद मंगाकर अंजन जनतामें | "जैनधर्मका सरल ढंगसे प्रसार कीजिये । मूल्य सिर्फ।)। । जन तक-कावे बन्दासजी कृत मूल .०८
आध्यात्मिक संबये, ५० स्वतन्त्री कृत शब्दार्थ व भावार्थ सहित तैयार है। मूल्य बारह अने।
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दिन पुस्तकालय सुरत ।
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