Book Title: Jain Dharm par Lokmat
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ ऋषभ मा समानानां सयज्ञानानां विषा सहिम् । हन्तारं शत्रण कृषि, विराज गोपितं गवाम् ॥ ऋग्देव भ० ८ मंत्र ८ सत्र २४ । जैनधर्म विज्ञानके भाधार पर है, विज्ञानका उत्तरोत्तर विकास विज्ञानको जैन दर्शनके समीप लाता जारहा है। -डॉ० एल० टमी टोरी इटली । महावीर जैन धर्म के संस्थापक नहीं थे, किन्तु उन्होंने उसका पुनरुद्धार किया है। वे संस्थापक वजाय सुधारक थे। पर्ट भग्न, ई लैन्ड । मैं आशा करता हूं कि वर्तमान मंER HIन महावीर के भादों पर चल कर आपसमें बंधुत्व और समानता का भाव स्थापित करेगा। _-डॉ० सातौड़ी मुकर्जी। माहिया शो बदनानिक भाषा है, जिस भाषामें म. महावीने मशीद दिया था। -डॉ० कालिदास नाग । म. महावीर द्वारा प्रचारित सत्य और अहिंमाके पालनसे हो संसार. संघर्ष और हिमासे अपनी सुरक्षा कर सकता है। -डॉ० श्यामापमाद मुकर्जी, अध्यक्ष हिन्दु महासभा । जैन संस्कृति मनुष्य संस्कृति है, जैन दर्शन मनुष्य दर्शन नहीं है। जिन देवता' नहीं थे, किन्तु मनुष्य थे। -प्रो० हरिसत्य भट्टाचार्य ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17