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अध्याय तीसरा ।
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नीचे अब यह बताते हैं कि किस गुणस्थान मे कितनी प्रकृतियोका उदय होता है तथा १२८ मेंसे किसका उदय नही होता है। अर्थात् अनुदय होता है - और कितनेकी व्युच्छित्ति होती है ।
अनुदय उदय उदय
प्रकृति
प्रकृति व्युच्छित्ति
सख्या
मुख्या सख्या
मिथ्यात्व ५ ११७
५
गुणस्थान
मामादन
११
१११
मिश्र
२२ १००
अविरति १८ १०४
देशविरति
३५
प्रमत्त
४१
अप्रमत्त
अपूर्वकरण अतिवृत्ति
सूक्ष्म सा०
४६
ܘ
५६
६२
उपगात मोह
श्रीणमोह सयांग केवली
अयोग केवलि ११०
६३
६५
८०
८७
८१
७६
७२
६६
६०
५९
५७
४२*
१२
?
२७
www
४
६
१
२
१६
३०
w
१२
विवरण
अनुदय तीर्थंकर, आहारक शरीर, आहारक अगोपांग, मिश्र, सम्यक्त
११ = १०+ नरकगत्यानुपूर्वी ०२ = २० + तियेच मनुष्य देवगत्यानु० २३ - १ मिश्र = २२ १८=२३-४ गत्यानुपूर्वी १ सम्यक्त= १८
४१=४३ - आहारक शरीर, आहारक अगोपांग
८०-८१ - १ कोई वेदनीय ३०=२९+१ कोई वेदनीय
नोट -- दो वेदनीयमेंमे १ मयांगी गुण० में व्युच्छिन्न होजायगी बाकी १ रहनेसे १२ व्युच्छिन्न होंगी। पहले नकोमं १३ नाना जीवोंकी अपेक्षा है।