Book Title: Jain Dharm Sar Sandesh
Author(s): Kashinath Upadhyay
Publisher: Radhaswami Satsang Byas

View full book text
Previous | Next

Page 366
________________ सन्दर्भ सूची 365 70. हीरालाल जैन, वीतराग विज्ञान, भाग 2, दौलतराम जी रचित छहढाला की द्वितीय ढाल पर कान जी स्वामी के प्रवचन, श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़, 1971, पृ. 52-55 और 57 71. आचार्य अमितगति, तत्त्वभावना, टीकाकार-सीतल प्रसाद जी, मूलचन्द किसनदास कापड़िया, सूरत, 1930, पृ. 59-60 में उद्धृत 72. आचार्य कुन्थुसागर जी महाराज, श्रावक प्रतिक्रमणसार, तृतीय संस्करण, शिखरचन्द्र ___ कपूरचन्द जैन, जबलपुर, 1957, श्लोक 18, पृ. 20 73. जैन सिद्धान्त प्रवेश रत्नमाला, पाँचवा भाग, दूसरा संस्करण, वीतराग विज्ञान साहित्य प्रकाशन समिति, देहरादून, आगरा, 1974, पृ. 1 74. हुकमचन्द भारिल्ल-सम्पादक, बृहजिनवाणी संग्रह, दसम् संस्करण, अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन, जयपुर, 2006, पृ. 644 75. हुकमचन्द भारिल्ल, वीतराग-विज्ञान पाठमाला, भाग 2, नवा संस्करण, 1989, पृ. 48 76. मूलशंकर देशाई, देव गुरु शास्त्र का स्वरूप, श्री दिगम्बर जैन मंदिर, आगरा, 1961, पृ.58-59 77. नेमीचन्द जैन, भक्ति के अंगूर और संगीत-समयसार, मुनि श्री विद्यानन्द चातुमसि समारोह समिति, इन्दौर 1972 में उद्धृत, पृ. 31 78. हुकमचन्द भारिल्ल, तीर्थंकर महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ, चतुर्थ संस्करण, श्री वीतराग-विज्ञान साहित्य प्रकाशन, आगरा, 1975, पृ. 132 79. नाथूराम डोंगरीय जैन, जैन-धर्म, द्वितीय संस्करण, 'जैनधर्म' प्रकाशक कार्यालय, बिजनौर 1941, पृ. 32-33 80. आचार्य कुन्थुसागर जी महाराज, श्रावक प्रतिक्रमणसार (सटीक), तृतीय संस्करण, शिखरचन्द्र कपूरचन्द जैन, जबलपुर, 1957, पृ. 29-31 81. पण्डित टोडरमल, मोक्षमार्ग प्रकाशक, सम्पादक-हुकमचन्द भारिल्ल, दशम संस्करण, सत्साहित्य प्रकाशन एंव प्रचार विभाग, जयपुर, 1989, छठवाँ अधिकार, पृ. 175-177 और 180 82. हरिलाल जैन, वीतराग विज्ञान, भाग 2, दौलतराम जी रचित छहढाला की द्वितीय ढाल पर कानजी स्वामी के प्रवचन, श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़, 1971, पृ. 109, 115 और 116 83. आचार्य समन्तभद्र, रत्नकरण्ड श्रावकाचार, श्लोक 30, हिन्दी अनुवादक-जयकुमार जलज, हिन्दी ग्रन्थ कार्यालय, मुम्बई, 2006, पृ. 13

Loading...

Page Navigation
1 ... 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394