Book Title: Jain Dharm Sar Sandesh
Author(s): Kashinath Upadhyay
Publisher: Radhaswami Satsang Byas

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Page 367
________________ जैन धर्म : सार सन्देश 84. आचार्य कुन्थुसागर जी महाराज, श्रावक प्रतिक्रमणसार, संशोधित तृतीय संस्करण, शिखरचन्द्र कपूरचन्द जैन, जबलपुर, 1957, पृ. 75 85. ब्रह्मचारी मूलशंकर देशाई, देव गुरु शास्त्र का स्वरूप, श्री दिगम्बर जैन मंदिर, आगरा, 1961, q. 33 366 अध्याय-7 1. प्रकाशचन्द जैन एवं जयसेन जैन द्वारा सम्पादित श्रुत पंचमी महा पर्व में प्रकाशित देवेन्द्र कुमार शास्त्री, नीमच का " श्रुत क्या है ?" शीर्षक निबन्ध, इन्दौर : श्री दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम, 1980, पृ. 45 और 48 2. दिव्यमहाध्वनिरस्य मुखाब्जान्मेघरवानु कृतिर्निरगच्छत् । भव्यमनोगतमोघ्नन् अद्युतदेष यथैव तमोरिः ॥ महापुराण 23.69 3. वही 24/83 4. नादबिन्दूपनिषद् III.2.1 5. कसायपाहुड-1/97/129 / 14, सम्पादक - फूलचन्द्र, महेन्द्र कुमार एवं कैलाशचन्द्र, मथुरा: भारतीय दिगम्बर जैन संघ 1944, पृ. 129, पंक्ति 14 6. तिलोयपण्णत्ती 1/62; 4/902 शोलापुर: जैन संस्कृति संरक्षक संघ, 1943, पृ. 8 और 263; देखिए हरिवंश पुराण II. 113 7. महापुराण I.186 और नियमसार तात्पर्यवृत्ति 174 8. स्वयम्भू स्तोत्र 74, सरसावा : वीर सेवा मन्दिर, 1951 9. समाधिशतक मूल 2, दिल्ली : वीर सेवा मन्दिर, 1964 10. अमृतनादोपनिषद् 24 11. कसायपाहुड 1/1,1/57/75/5, मथुरा: भारतीय दिगम्बर जैन संघ, 1944; पृ. 75-76 पंक्ति 5-1, देखिए, तिलोयपण्णती 1/68-69 12. जयधवला 9/4, 1, 44/120/10 13. कसायपाहुड 1/1-1,1/76/3, सम्पादक - फूलचन्द्र, महेन्द्र कुमार एंव कैलाशचन्द्र, मथुरा: भारतीय दिगम्बर जैन संघ 1944 (पृ. 76, पंक्ति 3); देखिए उसकी वीरसेन विरचित जयधवला टीका, वही, पृ. 76, पंक्ति 10-13. 14. पण्डित टोडरमल, मोक्षमार्ग प्रकाशक, जयपुरः सत्साहित्य प्रकाशन एवं प्रचार विभाग, दशम संस्करण 1989, पृ. 18 15. कुन्दकुन्दाचार्य, समयसार, सम्पादक - पण्डित पन्नालाल, वाराणसी: श्री गणेशप्रसाद वर्णी ग्रन्थमाला, 1969, प्रस्तावना, पृ. 13

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