Book Title: Jain Dharm Itihas Par Mugal Kal Prabhav Author(s): Unknown Publisher: Unknown View full book textPage 3
________________ इन्होंने सर्वप्रथम जैन-आगम-सम्मत पदार्थों का तर्कपूर्ण प्रतिपादन किया है। इनके सभी उपलब्ध ग्रंथ प्राकृत में हैं। इनकी विशेषता रही है कि इन्होंने जैन मत का स्वकालीन दार्शनिक विचारधारा के आलोक में प्रतिपादन किया है, केवल जैन आगमों का पुनः प्रवचन नहीं किया। इनके विभिन्न ग्रंथों में ज्ञान दर्शन और चरित्र का निरूपण मिलता है। इन्होंने एक एक विषय का निरूपण करने के लिए स्वतंत्र ग्रंथ लिखे जिन्हें पाहुड़ कहते हैं। इनके ८४ पाहुड़ों का उल्लेख जैन वाङ्मय में मिलता है। इनके मुख्य ग्रंथ निम्नलिखित हैं: 9 1 प्रवचनसार, २ समयसार ३ पंचास्तिकाय, ४ नियमसार, ५ बारस अणुवेक्खा ६ दण पाहुड़, 3 ७ चारित्तपाहुड़, ८ बोध 'पाहुड़, ९ मोक्ख पाहुड़, १० शील पाहु ११ रयणसार १२ सिद्ध भक्ति १३ मूलाचार ( वट्टकेर ) । आचार्य उमास्वामी (200 A.D.) तत्वार्थ सूत्र -(मोक्ष शास्त्र एक श्रावक के घर आचार्य उमा स्वामी जी आहार हेतु पधारे ! वहां उसने अपनी दीवार पर 'दर्शन ज्ञान चरित्राणि मोक्ष मार्ग' लिखा था ! उमा स्वामी जी ने उसके आगे 'सम्यग 'लगा कर सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्क्षमार्ग: लिख कर इस ग्रन्थ का प्रथम सूत्र लिपिबद्ध किया ! भक्त घर आने पर उमा स्वामी जी के पास जाकर पूछते है की हमें विस्तार से मोक्ष मार्ग बताइये !तब आचार्य उमास्वमी जी ने उस भक्त को मोक्ष मार्ग बताते हुए इस ग्रन्थ की १० अध्यायों में रचना करते है ! इस ग्रन्थ को मोक्ष शास्त्र भी कहते है! इस ग्रन्थ में आचार्य उमास्वामी जी द्वारा सात तत्वों का विस्तृत वर्णन १० अध्यायों में ३५७ सूत्रों के माध्यम से संस्कृत में प्रथम बार किया गया है! इससे पूर्व के समस्त जैन ग्रन्थ प्राकृत भाषा में लिपिबद्ध किये गए है!सूत्र का मतलबकम शब्दों में अनेक अर्थ समाविष्ट करने से है! यह ग्रन्थ श्वेताम्बर और दिगंबर जैन दोनों ही मुख्य परम्पराओ में सामान रूप से मान्य है, कुछ सूत्र एक में ही समावित करने के कारण से श्वेताम्बर आमना में ३४४ सूत्र माने गए है ! 3Page Navigation
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