________________
कलिमल मथनि त्रिताप निवारिणी |जन्म मृत्युमय भव भयहारिणी || सेवत सतत सकल सुखकारिणी सुमहैषधि हरि चरित गान की || आरती०
विषय विलास विमोह विनाशिनी |विमल विराग विवेक विनाशिनी || भागवत तत्व रहस्य प्रकाशिनी |परम ज्योति परमात्मा ज्ञान को || आरती०
परमहंस मुनि मन उल्लासिनी |रसिक ह्रदय रस रास विलासिनी ||
भुक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनी | कथा अकिंचन प्रिय सुजान की || आरती०
बादशाह औरंग जैब :
जैसा कि सर्व विदित है, कि औरंगजेब के शासन के दौरान संस्कृत मुगल शाही जीवन का एक प्रमुख हिस्सा नहीं रह गई थी। क्योंकि 17 वीं सदी के दौरान , संस्कृत धीरे-धीरे हिन्दी को रास्ता दे रही थी । उस समय उपमहाद्वीप भारत में एक व्यापक साहित्यिक बदलाव आ गया था, | औरंगजेब ने दारा शिकोह मुगल सिंहासन के लिए हराया। दारा शिकोह 1640 और 1650 के दौरान संस्कृत सांस्कृतिक आदान-प्रदान की एक श्रृंखला में लगा हुआ था। बादशाह औरंग जैब एक क्रूर कट्टर शासक था उसने अपने ही बाप को कैद कर तथा भाई की हत्या कर 1658 में तख्त कब्जाया था। उसने 48 साल तक भारत वर्ष पर हकुमत की । बादशाह औरंग जैब ने अपनी तलवार के बल पर असंख्य हिन्दुओं को मुस्लिम मजहब मंजूर करवाया और जिन लोगों ने मकालफत की उनके भरे बाजार में सिर कटवा दिये गये जिसमें सिक्ख धर्म के दसवें गुरु - गुरु तेग बहादुर की कुर्बानी उल्लेखनिय है । यह उल्लेखनिय है कि सिक्ख धर्म के दसवें गुरु - गुरु तेग बहादुर चादनी चैक के चोराहे पर मुस्लिम महजब स्वीकार न करने के कारण फासी दे दी गयी। आज यह चौक भाई मति दास के नाम से जाना जाता है. बादशाह औरंग जैब फरमान जारी कर रखा था कि नित्य प्रतिकिन सुबह एक गाडी जनेउ धारी - सूर्य उपासको के सर ( गर्दन ) काटकर उसे पैश की जाय।।
बादशाह औरंग जैब ने अनेक जैन - हिन्दु धर्म के मंदिरों धर्म स्थलों को ध्वंस किया। उस समय जैन - हिन्दु धर्म के अनुयायी एक खौप जुदा जिन्दगी जी रहे थे एसी विकट परिस्थितियों में भारत मूल की जैन - वैदिक संस्कृति जो मानव जीवन को सफल बनाने वाली संस्कृति विकृत होने से भला कैसे बच सकती थी ।