Book Title: Jain Dharm Darshan Part 06
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 106
________________ पयच्छड - प्रदान करें। वंछिउ - वाञ्छित्, मनोवाञ्छित। भावार्थ : चार कषायरूपी शत्रु-योद्धाओं का नाश करनेवाले, कठिनाई से जीत जाय ऐसे कामदेव के बाणों को तोड़ देनेवाले, नवीन प्रियङ्गुलता के समान वर्ण वाले, हाथी के समान गति वाले, तीनों भुवन के स्वामी श्री पार्श्वनाथ जय को प्राप्त हों || 1 || जिनके शरीर तेजोमण्डल मनोहर हैं, जो नागमणि की किरणों से युक्त और जो वस्तुतः बिजली से युक्त नवीन मेघ हों, ऐसे शोभित है वे श्री पार्श्वजिन मनोवाञ्छित फल प्रदान करें ।।2।। 592

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