Book Title: Jain Dharm Darshan Part 06
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 119
________________ होली होली का त्योहार भारतीय त्योहारों में एक अपने ढंग का अनोखा और निराला त्योहार है। अन्य त्योहारों में देव-मूर्तियाँ की पूजा होती है, परन्तु इस त्योहार में किसी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती, अपितु कूडा-कचना गंदगी आदि जलाई जाती है। यह त्योहार बुराइयों के विध्वंस का प्रतीक है। अन्य त्योहारों की भांति इस त्योहार के मूल में भी मानव जाति की समानता, भाईचारा और परस्पर का मनोमालिन्य मिटाकर एक दूसरे के संग हर्ष-उल्लास मनाने की भावना निहित है, किन्तु धीरे-धीरे इसमें विकृतियाँ आ गई है। वैसे हर एक परम्परा में पर्व या त्योहार का प्रारंभ किसी खास उद्देश्य के साथ ही होता है। यह त्योहार खेतों में फसल तैयार होने की खुशी में मनाया जाता है। होली की अग्नि में नये अन्न की बालों को भूनकर खाने के पीछे नई फसल का स्वाद लेने की भावना छुपी है। इस त्योहार की एक सबसे बड़ी विशेषता कहें या इसका उद्देश्य कहें कि इसमें सामाजिक समानता का बीज विद्यमान है। होली में कीचड़, मिट्टी उछालना, असभ्य भाषा बोलना, भद्दे और अश्लील मजाक करनायह तो मूर्ख एवं अज्ञानियों का काम है। मनोविनोद और मनोरंजन के लिए अश्लीलता की जरूरत नहीं है। किसी के कपड़े गंदे करके उसे रंगना यह तो मूर्खता का काम है। विजाती का परस्पर अश्लील, अभद्र व्यवहार होली में पशुता का प्रतीक माना गया है। इसलिए प्रत्येक त्योहार व पर्व मनाने में विवेक व ज्ञान होना जरूरी है। विवेकपूर्वक त्योहार मनाया जाये तो त्योहार आनंददायी होता है,उल्लास और उमंग देता है। होली के त्योहार में कच्चे रंग का उपयोग होता है। कच्चा रंग हमें सूचित करता है - जीवन में सुख-दुख के प्रसंग होते हैं। कटुता, मान-अपमान आदि के भी प्रसंग बनते हैं। परन्तु उन रंगों को मन पर जमने मत दो। किसी के कटु शब्द, अपमानजनक व्यवहार, द्वेष और शत्रुता के भाव जो भी तुम्हारे साथ हुए उन्हें मिटा दो। उन रंगों को उडा दो। गुलाल के रंगों की तरह इन पुराने व्यवहारों को भूल जाओ और मन को फिर साफ सुथरा रखो तभी तो रंग-बिरंगी होली आपके जीवन की सुख और प्रसन्नता देगी, आनंद और उल्लास देगी। XXXPOO00068 105 For Pers a te Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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