Book Title: Jain Dharm
Author(s): Sampurnanand, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Jain Sahitya

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Page 319
________________ विविध ३२३, अहार — टीकमगढसे 8 मीलपर अहार गाँव है । वहाँ से करीब ६ मीलपर एक ऊजड स्थानमें तीन दिगम्बर जैन मन्दिर है । एक मन्दिरमे २९ फुदकी ऊंची शान्तिनाथ भगवानकी अति मनोज्ञमूर्ति विराजमान है जो खण्डित है किन्तु बादमे जोडकर ठीक की गई है। यह प्रतिमा वि० सं० १२३७ में प्रतिष्ठित की गई थी। इन मन्दिरों के सिवा यहाँ अन्य भी अनेक मन्दिर बने हुए थे, किन्तु वादशाही जमाने मे सब नष्ट कर दिये गये और अब अगणित खण्डित मूर्तियाँ वहाँ वर्तमान है। क्षेत्र कलाप्रेमियोंके लिये भी दर्शनीय है । अब यहाँ एक पाठशाला भी चालू है । चन्देरी -- यह ललितपुरसे बीस मील है । यहाँ एक जैन मन्दिरमे चौबीस वेदियाँ बनी हुई है और उनमें जिस तीर्थङ्करके शरीरका जैसा रग था उसी रगकी चोबीसों तीर्थङ्करोंकी चोबीस मूर्तियाँ विराजमान है। ऐसी चौबीसी अन्यत्र कही भी नही है । यहाँसे उत्तरमे 8 मीलपर बुढी चन्देरी है । यहाँपर सैकड़ों जैन मन्दिर जीर्णशीर्ण दशामे है, जिनमे बड़ी ही सौम्य और चित्ताकर्षक मूर्तियाँ है । पचराई - चन्देरीसे ३४ मील खनियाधाना स्थान है और वहाँसे मोलपर पचराई गाँव है । यहाँपर २८ जिनमन्दिर है जिनमे लगभग एक हजार मूर्तियाँ है, इनमें आधके लगभग साबित है, शेष खण्डित है । थूवनजी --- चन्देरी से ८ मील थूवनजी है । यहाँ २५ मन्दिर है । प्राय सभी प्रतिमाएँ पत्थरोंमें उकेरी हुई है, खड़े योग है और २०-३० फुट तककी ऊँची है । यहाँ यह बतला देना आवश्यक है कि बुन्देलखण्डके उक्त सभी ' 1 क्षेत्र दिगम्बर जैन ही है । वहीं श्वेताम्बरोंका निवास न होनेसे उनक एक भी तीर्थक्षेत्र नही है | अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ - सेन्ट्रल रेलवेके अकोला ( बरार ) स्टशनसे लगभग ४० मीलपर शिवपुर नामका गाँव है । गाँवके 4 धर्मशालाओं के बीच एक बहुत बड़ा प्राचीन विशाल दुमंजला जैन

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