Book Title: Jain Dharm
Author(s): Sampurnanand, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Jain Sahitya

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Page 326
________________ जैनधर्म वेणूर - नदी के किनारे यह एक छोटा-सा गाँव है । गाँवके पश्चिममें एक कोट है। उसके अन्दर श्रीगोमट स्वामीकी ३१ फुट ऊंची प्रतिमा विराजमान है । गाँवमें अनेक जैन मन्दिर है । ३३२ वेलूर - हलेविड – वेलूर मोर हलेवीड, मैसूर राज्यके हासन नहर के उत्तरमे एक दूसरेसे दस बारह मीलके अन्तरपर स्थित है । यहाँका मूर्तिनिर्माण दुनियामें अपूर्व माना जाता है । एक समय यह दोनों " स्थान राजधानीके रूपमें मशहूर थे आज कलाघानी के रूपमें ख्यात है । दोनों स्थानोंके आस-पास जैन मन्दिर है। सभी मन्दिर दिगम्बर सम्प्रदायके है और उच्चकोटिकी कारीगरीको व्यक्त करते है । श्रवण वेलगोला -हासन जिलेके अन्तर्गत जिन तीन स्थानोने मैसूर राज्यको विश्वविख्यात बना दिया है वे है वेलूर, हलेवीड और श्रवण वेलगोला । हासनसे पश्चिममें श्रवण वेलगोला है जो हासनसे नोटरके द्वारा ४ घंटेका मार्ग है। श्रवण वेलगोलामे चन्द्रगिरि और विन्ध्यगिरि नामकी दो पहाड़ियाँ पास पास है। इन दोनों पहाडियो के बीचमें एक चौकोर तालाब है। इसका नाम बेलगोल अथवा सफेद नालाव था । यहाँ श्रमणों के आकर रहनेके कारण इस गाँवका नाम श्रमण वेलगोल पडा । यह दिगम्बर जैनों का एक महान् तीर्थ स्थान है । मौर्यसम्राट चन्द्रगुप्त अपने गुरु भद्रबाहुके साथ अपने जीवनके अन्तिम दिन बितानेके लिये यहाँ आया था । गुरुने वृद्धावस्थाके कारण चन्द्रगिरिपर सल्लेखना धारण करके शरीर त्याग दिया । चन्द्रगुप्त गुरुकी पादुकाकी बारह वर्ष तक पूजा की और अन्तमें समाधि धारण करके इह जीवन लीला समाप्त की । '' विन्ध्यगिरि नामकी पहाडीपर गोमटेश्वरकी विशालकाय मूर्ति विराजमान है । विन्ध्यगिरिकी ऊँचाई चार सौ सत्तर फीट है और ऊपर जानेके लिये सीढियाँ बनी हुई है । काका कालेलकरके शब्दों में मूर्तिका सारा शरीर भरावदार, यौवनपूर्ण, नाजुक और कान्तिमान है । एक ही पत्थर से निर्मित इतनी सुन्दर मूर्ति संसारमें और कहीं नही ।

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