Book Title: Jain Darshan me Vyavahar ke Prerak Tattva Author(s): Pramuditashreeji Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 7
________________ ISBN No. 978-81-910801-2-4 जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरक तत्त्व (जैन दर्शन में संज्ञा की अवधारणा) दिव्य कृपा प. पू. महान आत्मसाधिका श्री अनुभव श्रीजी म.सा. प. पू. सुप्रसिद्ध व्याख्यात्री श्री हेमप्रभा श्रीजी म.सा. परोक्ष आशीर्वाद प. पू. प्रज्ञासम्पन्ना श्री विनीतप्रज्ञाश्रीजी म. सा. आत्मीय आशीर्वाद प. पू. सुदीर्घ संयमी श्री विनोद श्रीजी म. सा. प. पू. समतामूर्त्ति श्री विनयप्रभाश्रीजी म.सा. प. पू. सरलमना श्री कल्पलताश्रीजी म.सा. लेखिका प. पू. सुप्रसिद्ध व्याख्यात्री गुरुवर्या श्री हेमप्रभाश्रीजी म. सा. की सुशिष्या (सांसारिक भतीजी) साध्वी डॉ. प्रमुदिता श्री प्रकाशक प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म. प्र. ) श्री अनुभव स्मारक संस्थान, पाली Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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