Book Title: Jain Darshan me Vyavahar ke Prerak Tattva Author(s): Pramuditashreeji Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 8
________________ जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरकतत्त्व जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरक तत्त्व (संज्ञा की अवधारणा) जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनूं द्वारा पीएच.डी. उपाधि प्राप्त शोध प्रबन्ध लेखिका : साध्वी डॉ. प्रमुदिता श्री सम्पादक एवं मार्गदर्शक : डॉ. सागरमल जैन प्रकाशक : प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर अनुभव स्मारक, पाली प्रकाशन वर्ष : सन् २०१३ मूल्य : रुपये ३००/- (तीन सौ रुपये मात्र) प्राप्ति स्थान श्री अनुभव स्मारक संस्थान भाखरी रोड, सर्किट हाउस के सामने, पोस्ट पाली.३०६४०१ (राज.) फोन : ०२९३२-२२८४१० श्री शंखेश्वर जिनकुशल सूरि दादावाड़ी संस्थान अहमदाबाद-शंखेश्वर हाइवे रोड, पो. शंखेश्वर-३८४२४६ जि. पाटन (गुजरात) फोन : ०२७३३-२७३५०५ प्राच्य विद्यापीठ दुपाड़ा रोड, शाजापुर (म.प्र.) ४६५००१ फोन : ०७३६४-२२२२१८ मुद्रक आकृति ऑफसेट ५, नईपेठ, उज्जैन (म.प्र.) फोन : ०७३४-२५६१७२०,२५६१३१४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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