Book Title: Jain Darshan me Shraddha Matigyan aur Kevalgyan ki Vibhavana
Author(s): Nagin J Shah
Publisher: Jagruti Dilip Sheth Dr

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Page 75
________________ 66 इन्द्रियार्थसन्निकर्षावग्रह, 36 इर्यापथिक कर्मबन्ध, 18 ईश्वर, 54 56 ईश्वरकृष्ण, 53 ईहा, 31-32, 34 उपनिषद्, 3, 7, 10, 26, 51 उपनिषविद्या, 4 उपमान, 40 उपाध्ये, ए. एन., 16 उमास्वाति 11, 30-31, 34, 37 कषाय, 18-19 कार्ल मार्क्स, कालद्रव्य, 17 कालाम, 7 ऊह 28 ऋग्वेद, 2 ऋषभदेव 2-3 एकत्ववितर्काविचारशुक्लध्यान, 47 कठोपनिषद्, 13 कर्म, और आत्मा का सम्बन्ध, 15 - 16, चेतोपर्यज्ञान, 26 पौगलिक, 15 - 16, के रंग, 15 कर्मसिद्धान्त, सर्वज्ञत्व का विरोधी 57 59 छान्दोग्योपनिषद्, 4 1 4 जैनदर्शन में सम्यग्दर्शन मतिज्ञान केवलज्ञान क्षण, 17, और पर्याय, 13 क्षणिकवाद, 13 गुप्ति, 19 गुरु, 7 गोशालक, 55, 58 गौतम (न्यायसूत्रकार), 55 ग्रन्थि, 1-2 ग्रन्थिभेद, 9 Jain Education International चक्रधर, 2 चतुर्व्यूह, 12 चार्वाक, 4 चित्त, और जैन आत्मा, 13, 15 चित्तप्रसाद, 8-9 चित्तशुद्धि, 6-9 चित्तवृत्ति, 50, 55 चिन्ता, 27-28 जिन, जीव, 12-16 जीवन्मुक्त, 54-55 जीवरंग, 15 जीववर्ण, 15 कुन्दकुन्द, 51 कुमारिल, 56 जैन आगम, 2-3 1-3 केवलज्ञान, 26, सर्वज्ञत्व के साथ अभेद, जैन धर्मसम्प्रदाय, 47, विशुद्ध ज्ञान, 50, जैन सात तत्त्व, 12-13 अक्लिष्टचित्तवृत्ति के साथ अभेद, ज्ञाताधर्मकथा, 33 50, विषयाकारशून्य ज्ञान, 50, ज्ञातृपुत्र, 3 केवल आत्मा का ज्ञान, 51 केवलज्ञान, 26 झीमर, प्राध्यापक, तत्त्वज्ञान 3 For Private & Personal Use Only 15 www.jainelibrary.org


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