Book Title: Jain Darshan me Shraddha Matigyan aur Kevalgyan ki Vibhavana
Author(s): Nagin J Shah
Publisher: Jagruti Dilip Sheth Dr

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Page 78
________________ सामान्यसूची रुद्रक रामपुत्र, 53 लेश्या, 15 लोक, 17 लोकाकाश, 17 वातरशना मुनि, 2 वात्स्यायन (न्यायभाष्यकार), 55, 62 वादिदेवसूरि, 13 विज्ञानवादी, 51 विदेहमुक्त, 54-55 विद्या, तीन, 51, दस, 52 विवरणप्रमेयसंग्रह, 4 विवेकख्याति, 53-54 . वीतराग, और सर्वज्ञत्व, 50 वेद, 56 वैदिक परम्परा, 56 वैशारद्य, 22 व्यवहारनय, 51 व्यंजन, का अर्थ, 35-36 व्यंजनावग्रह, 35-36 व्याप्ति, 42 व्यावहारिक श्रद्धा, 11 व्यास (योगभाष्यकार), 54 व्रत, 19 षट्खंडागम, 12 षड्दर्शन, 4 शब्दग्रहण, 35 शब्दार्थग्रहण, 35 शाक्यपुत्र, 3 शान्तरक्षित, 7, 53 शुक्लध्यान, 9, 26, 47 शेरबाट्स्की , 15 शैव-पाशुपत सम्प्रदाय, 55 श्रद्धा, 4, 6-21, की बौद्ध व्याख्या, 6 निराकार, 6, साकार, 7, आकारवती, 8, और ज्ञान, 9, और गुरूपदेश, 9, की भूमिकाएँ, 6-9, श्रवण का कारण, 37, के विषय (जैनमत), 12-20, के पांच लिङ्ग (जैनमत) श्रमण, 2 श्रमणसम्प्रदाय, 1-2 श्रमणपरम्परा, 56 श्रवण, 4, 33, 37, मनन की प्रतिष्ठा, 8, श्रुत, मन का विषय, 37 श्रुतज्ञान, 26, और श्रवण, 5, का विषय, 36-37 सन्तान, और द्रव्य, 13 समय, 17 समिति, 19 सम्मादिट्टि, 6 सम्यक्त्व, 11 सर्वज्ञत्व, का केवलज्ञान से अभेद, 47. की सिद्धि, 47-48, सिद्धि के तर्कों का खोखलापन, 48-49, बौद्ध परम्परा में, 51-53, सांख्य-योग परम्परा में, 53-55, न्याय-वैशेषिक परम्परा में, 55-56, आजीविक परम्परा में, 55, और मीमांसा, 56, के साथ कर्मसिद्धान्त का विरोध, 57-59, और आत्यंतिक नियतिवाद, 57 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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