Book Title: Jain Darshan me Shraddha Matigyan aur Kevalgyan ki Vibhavana
Author(s): Nagin J Shah
Publisher: Jagruti Dilip Sheth Dr

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Page 79
________________ 70 जैनदर्शन में सम्यग्दर्शन मतिज्ञान केवलज्ञान 59, और धर्मज्ञत्व, 61-62, और सिद्धशिला, 61 आत्मज्ञत्व, 50-51, में तर्कदोष, सिद्धसेनगणि, 28, 31, 36-36, 41 60-61, के विविध अर्थ, 61- सिद्धसेन दिवाकर, 7, 41 62, और जीवन्मुक्त, 54 सील, बी. एन., 16 सर्वार्थसिद्धि (तत्त्वार्थटीका), 5, 10 सुखलालजी, पंडित, 28, 61 सविकल्प प्रत्यक्ष, 30-31 सुत्तनिपात, 5 सवितर्कसविचारात्मक ध्यान, 8 स्कंध, 16 संज्ञा, 27-28 स्थानांगसूत्र, 41 संयम, 54 स्थितिबन्ध, 18-19 संवर, 19, के उपाय, 19 स्फुटार्था, 6 संवेग, 11 स्मृति, 27-28, 31, 38-39 संसार, 12 हरिभद्र, 7 साख्य, 15 हिन्दु पुराण, 3 सांख्यकारिका, 53 हेतुप्रकार, 43 सांख्यचिन्तक, और चित्त का संकोच- हेतुलक्षण, 43 विकास, 15 हेत्वाभास, 43 सांपरायिक कर्मबन्ध, 18 हेमचन्द्राचार्य, 6, 28, 43, 47 . सिद्ध, 2-3, अन्यलिंग, 2 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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