Book Title: Jain Darshan me Shraddha Matigyan aur Kevalgyan ki Vibhavana
Author(s): Nagin J Shah
Publisher: Jagruti Dilip Sheth Dr

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Page 74
________________ 14 सामान्यसूची अकलंक, 41, 43 अवधिज्ञान, 26 अक्लिष्टचित्तवृत्ति, और केवलज्ञान 50 अवाय, 31-32, 34, संदिग्धग्राही, 34 अजीव, 16-17 अवेच्चप्पसादा, 8 अधर्मद्रव्य, 17 अस्तिकाय, 17 अधिगमज श्रद्धा, 9-12 'आकार' शब्दका अर्थ, 8 अध्यात्मप्रसाद, 9, 21n आकाशद्रव्य, 17 अध्यात्मविद्या, 4 आचारांगसूत्र, 5 अनन्तज्ञान, 9, 49, 59 आजीविक, 15 अनन्तसुख, 20, 49, 59 आत्मद्रव्य (जैन), और चित्तसन्तान (बौद्ध), अनात्मवादी, 13 अनुकम्पा, 11 आत्मवादी, 13 अनुप्रेक्षा, 19 आत्मसाक्षात्कार, 4 अनुभावबन्ध, 18 आत्मा, 12-16, का स्वभाव 13-4, की अनुमान, 28, 31, 41-42, के प्रकार परिणामिता 1A का कर्तत्व 14 का 42-43, के अवयव 43 भोक्तृत्व 14, प्रतिक्षेत्र भिन्न 15, अनुयोगद्वारसूत्र, 41 देहपरिमाण 15, पौगलिकादृष्टवान् अनेकान्तवादी, 3-4 15, और कर्म का सम्बन्ध 15-16, अभिजाति, 15 आदिनाथ, 3 अभिनिबोध, 27-28 आध्यात्मिक चार सोपान, 4, 26-27, अभिधर्मकोशभाष्य, 6 29-30, और बौद्ध 4-5, और जैन अभिधर्मदीपवृत्ति, 6 रत्नत्रयी, 5-6 अयंपुल, 55 आनंदघनजी, 3 अर्थ, 35-36 आर्य अष्टांगिक मार्ग, 6 अर्थावग्रह, 35-36 आर्यसत्य, 12 अलोकाकाश, 17 आलार कालाम, 53 अवग्रह, 31-32, 34, आस्तिक्य, 12 अवग्रहादि, मनन की भूमिकाए, 33-34, 10 और स्मृति, प्रत्यभिज्ञान, 33, के इन्द्रियप्रत्यक्ष, 30-36, 38 बहुग्राही आदि भेद, 34 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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