Book Title: Jain Darshan Chintan Anuchintan
Author(s): Ramjee Singh
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 189
________________ परिशिष्ट अनुभववाद-२ अज्ञेयवाद-२,३ अनन्त चतुष्टय-३,७४ अनन्त ज्ञान-३, ६० अनुमान-४,१० अर्द्धमागधी-७ अभिधान राजेन्द्र कोष-७ अकलंक-८,२०,२१,२८,३२,३३, ३४, ३५ अभयदेव-८,३४,४५ अमृतायन-१७७ अनन्तवीर्य-९,३२,३४ अलौकिक प्रत्यक्ष-९ अष्टसहस्री-९ अतीन्द्रियज्ञान-९,१२,१७,२०,६७ अविनाभाव-१०,१८ । अनुपलम्भ-१०,१२,१८ अनेकान्त-१२,१९,५३,१३० अनित्य -१३ अनादि-१३,१७,४४ अन्योन्याश्रय दोष-१३ अर्थापत्ति -१३,१४ अनुपन्न-१३ अभाव-१४,१५ अशुचि-१७ अनागत-१७,१८ असत्-१७,१०४ अर्हन्त-१७ अनात्मवादी-२० अनुमेय-२०,२१ अतिशय-२२ शेय-३,२४ अनुयोगसूत्र-२८ अभयदेव-२८ अन्वयव्यतिरेकी--३० अनेकवाद-६५ अनार्य-६६,१२९ अफलातूं-५३,६६ अपराविद्या-६७ अविद्या-५९,६७,६८ अवधिज्ञान-६७,१३९ अनुभवातीत-६७ अन्तर्ज्ञान-६८ अपौरुषेय-७२ अदृष्ट-७३ अशरीरी-७३ अरिहंत-७३ अरिष्टनेमि-४७,७४ अनुकम्पावाद-७४ अणुव्रत-७९,१६० अमुशास्ता-७९,१६३ अनिवर्चनीय-५२ अव्यभिचारी-३३ असद् –३३ अन्यथानुपपत्ति-३५ अव्याप्त-३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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