Book Title: Jain Darshan Chintan Anuchintan
Author(s): Ramjee Singh
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 192
________________ परिशिष्ट १८३ जिन--७४ जयंत--३४ जैन-न्याय-९ जी. वी. राईन-९ जगदीश काश्यप-३८ जड़-४४ जयराशि भट्ट-...५६ जीववाद-६४ जागृतावस्था-६४ जकात-८३ जयप्रकाश-८३ जे० कृष्णमूर्ति --~९० जे. सी. कुमारप्पा-१०२ जेनेसिस--११६ जनपद-१२९ जरासंघ-१३० जेम्सजीन्स-१४१ जिनभद्रगणी-१३१ जनतंत्र--१४६ त्रिकाल-१९ विलक्षण-२९,३०,३१ १३६ त्रिलक्षणकदर्थन-३२ त्रैरूष्य--३३,३५ त्रिपिटक-३८ त्रयात्मक-५८ त्रिरत्न--६० त्रिमूर्ति-.१३० त्रयी-१६५ ज्ञान-१ ज्ञेय-७,६२ ज्ञानावरणीय-२० ज्ञ नमीमांसा-२५ ज्ञाता-६२ तत्त्वज्ञान-२ तंत्र-~९ तर्क-९ तत्वार्थसूत्र-२८ तीर्थंकर-७३ तेरापंथ-३६ तुलसी-३६ तीर्थ-४७ तमिस्रा-६० ताओ-९७ तस्कर समाज--१०२ तिरुकुरल-११६ तक्षशिला-१६६ तथागत-५० दलसुख मालवणिया--३६ देवसूरि-३४ द्वन्द्वात्मक-२ दृश्यमान्-३ दशावयव-२८ 'दिङनाग-३०,४५ दृष्टिवाद-६५ द्वेष-८० देवद्धिगणी-३६,३७ द्वन्ददृष्टि-४७ द्रव्य-~-६२ द्रव्यसंग्रह-६४ द्विन्द्रिय-११५ द्वादशांगी-१३१ द्वैताद्वैत-१३४ देकार्त-१४५ धर्मभूषण--९,२०,२८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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