Book Title: Jain Darshan Chintan Anuchintan
Author(s): Ramjee Singh
Publisher: Jain Vishva Bharati
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एकेन्द्रिय-११५ एक्वीनस-११६ एस. एम. जैन-१२४ ए. सिक्लेयर-३ ऋजुसूत्र नय-१३३ ऋत-१४१ ऋषभदेव-४७ ऋग्देव-२६ कमलशील-२० कर्म-पुद्गल-१९ कणाद-२९ कर्म-१४६ कर्मवाद-७२ कथंचित्--५४ कर्मबन्धन-६३ कन्फ्यूशियस-९८ कपिल-१६५ कार्यकारणवाद-१३२ कामतृष्णा---८५ कार्ल जास्पर-९० कार्तिकेयानुप्रेक्षा-५५ काम--- ४७ क्रांति-७९ क्रियावादी-४९ कुमारिल-२० कृतप्रणाश-५० कुमारनन्दि-३२ कुन्दकुन्द-६२, ६४ कूटस्थ-६५,१३३ क्रोसे-५३ केन्द्रवाद-१४८ केवल व्यतिरेकी-३०
जैनदर्शन : चिन्तन-अनुचिन्तन केवलज्ञान-६७,१७,२२ कौटिल्य-२७ कटल-१३८ क्लेयर लोयेंस-२३ क्लेयर माडियेस-२३ गांधी--१५७ गवाक्ष-२,२४ ग्रंथि-१६३ गंगानाल-५६ ग्रेशम-११३ गुस्ताव वेजल-१ गुणस्थान-४४ गौतम-२९ चतु:सत्य-४९ चतुर्दशपूर्व-१३१ चातुर्मास-३७ चेतना-६२ चतुर्लक्षण-३० चैतन्यस्वरूप-~६२ चक्रक दोष-१२ चित्त-११ चार्ल्स-९ चतुष्टय-१९ चारूकीति--३४ चूर्णि-३७ जी. एम. तीरल-९ जैमिनि-१९ जीव-२०,६८,४४,६०,९८,११५ जयन्तभट्ट-३०,३१ जीवात्मा-६५ जेम्स-६६ जैकोबि-६८
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