Book Title: Jain Darshan Chintan Anuchintan
Author(s): Ramjee Singh
Publisher: Jain Vishva Bharati
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जैनदर्शन : चिन्तन-अनुचिन्तन
धर्मकीर्ति -३०,३१,३२ ध्रौव्य --५६ धर्मतीर्थंकर-१३० न्याय ---९ न्यायकुमुदचंद्र -९ निवृत्ति-१० निविशेषण-१० नित्य --१३ न्यायविनिश्चय-२०,२८ न्यायदीपिका-२० निर्वाध -२३ निरपेक्ष-२३ न्यायसूत्र-२६ न्यायकोश---२६ न्यायावतार -२८ निरपेक्ष-६९,५५ नास्तिक-७२ निर्जरा-७४,१३२ नथमल-३६ नैरात्मवाद-५० नय--५१ नयवाद-५३,१३५ निविशेष--६२ निष्काम कर्म--८५ नीतिधर्म----९१ नित्य--१०० निगोद ---११५ निःश्रेयस - १३०,१६८ निर्ग्रन्थ-१३१ नील्स बोर--१४० निराकार--१४२ नारद----१४३ नचिकेता-१४३
नेहरू-१४४ न्यूटन-१४५ नियम का राज्य-१४९ नालन्दा---१६६ निवर्तक-१६८ पिपासा--१ परोक्ष-३ प्रत्यक्ष--३ प्रमाणशास्त्र--३ पाणि नि-६,४४ प्राकृत महाकोष--७ पर्याय-७ परिज्ञान-७ . प्रमेय-७ पैगाम्बर-७,२३ पुराण-८ प्रज्ञाकरगुप्त-८ पूज्यपाद-८,२८ प्रभाचंद्र---९ पतजलि---९,२३ परामनोविद्या ----९,२३,१३९ प्रमेयकमलमार्तण्ड-९ प्रादेशिक ज्ञान –१० पुरुष-१२ प्राग्भाव---१४,१५ प्रध्वंसाभाव-१४,१५ पर्युदास-१५ प्रभाचंद्र---२१,२८ प्राज्ञ-२४ पराविद्या--२६ प्रगल्भ-३० पंचलक्षण-३०,३१ पात्रस्वामी-३२
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