Book Title: Jain Darshan Chintan Anuchintan
Author(s): Ramjee Singh
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 198
________________ परिशिष्ट .६२ स्वसमय समय- -६२ सर्ववादी – ६३ समविभाग - ८४ समवितरण ८४ समग्रदृष्टि – ९० साम्प्रदायिक धर्म -९१ -- साम्यवाद- ९१ सम्यक् चारित्र - ९५ सम्यक् दर्शन– ९५ सोफिस्ट- :-९८ समूह प्रवृत्ति - १०२ सेवायुग – १०२ सक्रिय प्रेम - १०३ सुकरात - १०३, ११९,१६३ सत्— १०४,११३ संप्रलाप - १०४ स्वामी रंगनाथानन्द - ११३ सुजयेन्द्रतीर्थं – ११४ संत तिरुवल्लुवर -११६ सालोनेला --- १२५ साम - १२९ सादि - १३२ सत्यलक्षी - १३३ सौत्रान्तिक - १३३ संप्रत्यय - १४० Jain Education International सीरिल - १४० सनत्कुमार - १४३ हिंसावाद – १४८ समन्वय - १४९ संप्रभुता - १५१ समता - १५२ संकुलयुद्ध - १५३, १५४ सत्याग्रह - १५५ साध्वी - १५६ सगुण - १६४ श्रुति - ३ - ८०,१३१,१६६ श्रमण -- ८० श्रुतकेवली - ३७ हेमचन्द्र - ९, २१,२८,३४,४५ हेतुदृष्ट-- २७ हेत्वाभास – ३०, ३१ ही गेल – ६६,४७ हरिभद्र —– ४५, १६३ हिराक्लिटस - ९९ हारमोन - १२५ हक्सले – १३८ हाईजनवर्ग - १३९ हिरीशेलवुड - १४० हिंसावाद - - १४८ हिन्दुत्व - १६४ For Private & Personal Use Only १८९ www.jainelibrary.org

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