Book Title: Jain Darshan Chintan Anuchintan
Author(s): Ramjee Singh
Publisher: Jain Vishva Bharati
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परिशिष्ट
१८७
यशोविजय-९,१३,२२,२८,३४,४५ योगाचार-१७ योग-बिन्दु-२० योग-सूत्र-२१,२२ युवाचार्य-७९,३७,१६७ युग-१३८ युक्त्यानुशासन-४७ यम--८२ यहूदी-९७ यूनानी दर्शन-९८ यंत्रवाद-१४८ राजभाषा-१६० राइन-१३९ रेडियोधर्मिता-१३९ रेनर जानसन-१३९ रामानुज-१३४ राबर्ट इंगरशोल-११७ राज गोपालाचारी--११७ राहुल-१०९ रजनीश-१११ रमणमहर्षि--११६ राधाकृष्णन्-५६ रोथ-३६ राग-८० राग-द्वेष-१६ रथ्याप्रभ-१२ रामायण-८ लाड. एल. टी.-२ लघीयस्त्रय-२८ लोकतंत्र-७९,१४६ लोकायत-४१,१६६ लोकसंवृति---४२ लोक-४४,९३
लैक्टिक अम्ल-१२५ लेनिन-१३९,१४५ लाइफ-डिवाइन-१४० लोकशाही-१४७ लाडनूं-१४७ वैष्णव-१६० विक्रमशिला-१६६,१७९ वेदव्यास-१५७ व्यवहार धर्म-१५० वर्ण-१४८ व्हाइटहेड-१४० वदतोव्याघात-१४२ वैभाषिक-१३३ विज्ञानवाद-१३३ विभज्यवाद-१३५,४४,५० विश्वेदेवा-१३० विन वुडरीड-११८ व. बेकर--१२२ विशिष्टाद्वैत-११५ विभाव-१०० विश्वधर्म-९१ विश्वसरकार-९१ विवेक-९४ विभवतृष्णा-८५ विज्ञान-६२ व्यष्टिगत अज्ञान-५९ व्योमशिव-५७ वर्गणा--४४ विद्यानंद-४५,३५,९ वसुबन्धु----४५ व्यवहार-४२ वाचस्पति-३४ वादिराज-३४,३१
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