Book Title: Jain Bauddh aur Gita ka Sadhna Marg
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 6
________________ प्रकाशकीय प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर, ( राजस्थान ) के द्वारा 'जैन, बौद्ध और गीता का साधना मार्ग नामक पुस्तक प्रकाशित करते हुए हमे अतीव प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। आज के युग में जिम धार्मिक सहिष्णुता और मह-अस्तित्व को आवश्यकता है, उसके लिए धर्मों का समन्वयात्मक दृष्टि से निष्पक्ष तुलनात्मक अध्ययन अपेक्षित है, ताकि धर्मों के बीच बढती हुई खाई को पाटा जा सके और प्रत्येक धर्म के वास्तविक स्वरूप का बोध हो सके । इस दृष्टि बिन्दु को लक्ष्य में रखकर पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के निदेशक एव भारतीय धर्म-दर्शन के प्रमुख विद्वान् डा० सागरमल जैन ने जैन बौद्ध और गीता के आचार दर्शनो पर एक बृहद्काय शोध-प्रबन्ध आज से लगभग १५ वर्ष पूर्व लिखा था। उसी के साधना पक्ष से सम्बन्धित कुछ अध्यायो से प्रस्तुत ग्रन्थ को सामग्री का प्रणयन किया गया है । हमे आशा है कि शीघ्र ही उनका महाप्रबन्ध प्रकाश में आयेगा, किन्तु उसके पूर्व परिचय के रूप में यह लघु पुस्तक पाठको के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि वे उनके विद्वत्तापूर्ण प्रयास का कुछ आम्वाद ले सकें। प्राकृत भारती द्वाग इसके पूर्व भी भारतीय धर्म, आचारशास्त्र एवं प्राकृत भाषा के १० ग्रन्थो का प्रकाशन हो चुका है, उसी क्रम में यह उमका ११वां प्रकाशन है । इसके प्रकाशन में हमे लेखक का विविध रूपो में जो महयोग मिला है उसके लिए हम उनके आभारी है । महावीर प्रेस, भेलपर ने इसके मुद्रण कार्य को मुन्दर व कापूर्ण ढग में पूर्ण किया, एतदर्थ हम उनके भी आभारी है। देवेन्द्रराज मेहता विनयसागर मचिव संयुक्त सचिव प्राकृत भारती मस्थान जयपुर, (राजस्थान)

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