Book Title: Jain Angashastra ke Anusar Manav Vyaktitva ka Vikas
Author(s): Harindrabhushan Jain
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 12
________________ साधना का रहस्य (ऊ) तप (ए) निर्वाण (ऐ) उपदेश (ओ) सार्वजनिक सेवा (अ) तत्कालीन अन्य सम्प्रदाय (अ) संघ और शिष्य परम्परा ( अ ) गण तथा गणधर (क) शिष्य - परम्परा (अ) पदार्थ - निरूपण (१) जीव (अ) जीव के भेद (आ) गति १. तत्त्व-ज्ञान २. पूर्वीय तथा पश्चिमीय तत्त्वज्ञान की प्रकृति की तुलना ३. जैन-तत्त्वज्ञान (इ) इन्द्रिय (ई) शरीर जन्म भाव (ए) लेश्या (ऐ) वेद (ओ) ज्ञान (औ) नय (२) अजीव ( १० ) तृतीय अध्याय ( जैन-तत्त्व-ज्ञान) (अ) पुद्गल (आ) धर्म तथा अधर्म (इ) आकाश (ई) काल (१) पल्योपम (२) सागरोपम !!:::: .. *** wo **** 1429 .... .. पृष्ठ ५३ ५४ ५८ ५८ ६२ ६४ ७६ ७८ ८० ८३ ८३ ८४ ८४ ८५ ८६ ८६ ८७ ८६ ६० ६० ६ १ २ २ ६३ ६५ ६५ ६५ ६६ ६ ६७ ६७

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